प्रोजेस्टेरोन टेस्ट के बारे में सब कुछ जानें

Author : Dr. Nidhi Gohil November 21 2024
Dr. Nidhi Gohil
Dr. Nidhi Gohil

MBBS, MS (Obstetrics & Gynaecology), Fellowship in IVF

5+Years of experience:
प्रोजेस्टेरोन टेस्ट के बारे में सब कुछ जानें

प्रोजेस्टेरोन टेस्ट क्या है?

हर महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरोन, जिसे फीमेल हार्मोन भी कहा जाता है, महत्वपूर्ण होता है। सभी महिलाओं में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बनता है। यह हार्मोन पुरुषों में भी बनता है, लेकिन महिलाओं में पुरुषों के मुक़ाबले यह प्रभावी रूप से बनता है। यह हार्मोन प्रेगनेंसी के दौरान दूध बनाना बंद कर देता है।

डिलीवरी के समय इसका हार्मोनल लेवल कम हो जाता है, जिस कारण बच्चे के जन्म के बाद, उनको पिलाने के लिए दूध बनता रहता है।

प्रोजेस्टेरोन टेस्ट एक तरह का मेडिकल टेस्ट है जो रोगी के प्रोजेस्टेरोन का लेवल चेक करता है। इसे पी4 ब्लड टेस्ट के रूप में भी जाना जाता है। साथ ही, सीरम प्रोजेस्टेरोन टेस्ट भी एक मेडिकल टेस्ट है जो रोगी के ब्लड में प्रोजेस्टेरोन की मात्रा चेक करने के लिए किया जाता है। डॉक्टर द्वारा सीरम प्रोजेस्टेरोन लेवल का इस्तेमाल कारण जानने में किया जाता है।

हाई प्रोजेस्टेरोन लेवल महिला के शरीर पर कोई विशेष प्रभाव नहीं डालता है। वहीं दूसरी ओर, प्रोजेस्टेरोन लेवल का कम होना पीरियड और फर्टिलिटी दोनों को प्रभावित करता है।

प्रोजेस्टेरोन का लेवल कम होना पीरियड नहीं होने, ओवरी की क्षमता कम होना, और गर्भपात का कारण हो सकता है।

प्रोजेस्टेरोन टेस्ट क्यों किया जाता है?

प्रोजेस्टेरोन टेस्ट नीचे दिए गए मामलों में किया जाता है

  • यह पता लगाने के लिए कि क्या प्रोजेस्टेरोन का लेवल किसी महिला की फर्टिलिटी क्षमता के लिए जिम्मेदार है
  • ओव्यूलेशन का समय पता लगाने के लिए
  • गर्भपात के रिस्क को समझने के लिए
  • हाई-रिस्क प्रेगनेंसी का पता लगाना और गर्भपात से बचने के लिए इसकी उचित निगरानी करना
  • एक्टोपिक प्रेगनेंसी का पता लगाना और निगरानी करना, यह ऐसी प्रेगनेंसी होती है जिसमें गर्भाशय अंदर के बजाय बाहर बढ़ने लगता है। अधिकांश स्त्री रोग विशेषज्ञ ऐसी खतरनाक स्थितियों का पता लगाने के लिए प्रोजेस्टेरोन टेस्ट की सलाह देते हैं जो रोगी के जीवन के लिए खतरा हो सकती हैं।

प्रेगनेंसी के संबंध में प्रोजेस्टेरोन महत्वपूर्ण होता है जिस पर हेल्थी और नॉर्मल प्रेगनेंसी के लिए ध्यान दिया जाता है। सीरम प्रोजेस्टेरोन टेस्ट किसी चिकित्सीय कारण या असामान्य गतिविधि के कारण शरीर में असामान्य प्रोजेस्टेरोन लेवल को जानने में मदद करता है।

कम प्रोजेस्टेरोन लेवल के कारण

प्रोजेस्टेरोन का लेवल कम होने के प्राथमिक कारण नीचे दिए गए हैं:

  • एनोवुलेटरी साईकल
  • कोर्टिसोल का लेवल बढ़ना
  • हाइपोथायरायडिज्म
  • हाइपरप्रोलेक्टिनिमीया
  • कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होना

कम प्रोजेस्टेरोन लेवल के लक्षण

प्रोजेस्टेरोन का लेवल कम होने का नीचे दिए गए लक्षणों से पता चलता है:

  • अनियमित पीरियड और छोटी साईकल
  • पीरियड आने से पहले स्पॉटिंग
  • फर्टिलिटी संबंधी समस्याएं
  • स्वभाव में बदलाव, एंग्जायटी और डिप्रेशन
  • नींद का टूटना और बेचैनी भरी नींद
  • रात में पसीना आना
  • शरीर में पानी ना रुक पाना
  • हड्डी की समस्या

हर किसी को यह समझना जरूरी है कि प्रोजेस्टेरोन लेवल का कम होना महिला के शरीर के फर्टिलिटी लेवल पर बुरा असर डालता है, जिससे यह सफल प्रेगनेंसी में दिक्कत पैदा करता है। इसलिए, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए रोगी को सही उपाय करने के लिए अपने डॉक्टर या स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।

एक और बात यह है कि प्रोजेस्टेरोन लेवल में कमी का इलाज केवल कुछ ही तरीकों से किया जा सकता है। स्त्री रोग विशेषज्ञ या डॉक्टर प्रोजेस्टेरोन सप्लीमेंट लेने के लिए कह सकते हैं जिससे तय अवधि के भीतर यह नॉर्मल लेवल तक पहुंच जाए।

हाई प्रोजेस्टेरोन लेवल के कारण

हाई प्रोजेस्टेरोन लेवल नीचे दिए गए कारणों से होता है:

  • नॉर्मल प्रेगनेंसी (एक से अधिक प्रेगनेंसी में ज्यादा)
  • तनाव
  • कैफीन का अधिक सेवन
  • स्मोकिंग की आदत
  • जन्म से एड्रेनल हाइपरप्लासिया होना

हाई प्रोजेस्टेरोन लेवल के लक्षण

अगर किसी महिला में प्रोजेस्टेरोन का लेवल अधिक है, तो नीचे दिए गए लक्षण इसका संकेत देते हैं:

  • स्तन की कोमलता और/या सूजन
  • बहुत ज्यादा ब्लीडिंग (पीरियड के दौरान)
  • वजन बढ़ना और/या सूजन
  • एंग्जायटी और डिप्रेशन
  • थकान
  • सेक्स की इच्छा कम होना

प्रोजेस्टेरोन का टेस्ट कब किया जाना चाहिए?

अगर किसी महिला को रेगुलर पीरियड होते हैं, तो प्रोजेस्टेरोन ब्लड टेस्ट की तारीख का पता लगाना आसान है। आपको बस अगली पीरियड तारीख का अनुमान लगाने और उससे सात दिन पीछे गिनने की जरूरत है।

उदाहरण के लिए, अगर आपका पीरियड साईकल 28 दिनों का है, तो सीरम प्रोजेस्टेरोन टेस्ट कराने का सबसे अच्छा दिन 21वां दिन है।

अगर किसी महिला को अनियमित पीरियड होते हों तो प्रोजेस्टेरोन दिन का पता लगाने के लिए एक अलग तरीका होता है। इस मामले में ओव्यूलेशन का दिन उपयोगी होगा। ऐसे में जीवन में किसी भी तरह के संदेह या भ्रम से बचने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

प्रोजेस्टेरोन टेस्ट की प्रक्रिया

प्रोजेस्टेरोन टेस्ट नीचे दिए गए स्टेप्स के साथ किया जाता है:

  • डॉक्टर ब्लड का सैंपल लेते हैं
  • ब्लड लेने के लिए, फ़्लेबोटोमिस्ट सबसे पहले उस नस के ऊपर मौजूद स्किन को साफ़ करता है जहां से उसको आवश्यक मात्रा में ब्लड निकालना होता है।
  • वह नस में सुई डालता है
  • ब्लड को सुई के माध्यम से ट्यूब या शीशी में निकाला जाता है
  • अंत में, एकत्रित ब्लड को टेस्ट के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है

सुई वाली जगह या शरीर के किसी अन्य हिस्से में इंफेक्शन या इसी तरह के रिएक्शंस से बचने के लिए हर स्टेप सावधानी के साथ किया जाता है। आपको अपने संपूर्ण स्वास्थ्य में किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए स्वच्छता संबंधी उपाय करने चाहिए।

अगर प्रोजेस्टेरोन ब्लड टेस्ट के बाद आपको अपने स्वास्थ्य में कोई समस्या महसूस होती है, तो आपको बिना किसी देरी के तुरंत डॉक्टर या अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।

नॉर्मल प्रोजेस्टेरोन लेवल क्या है?

हर महिला के जीवन के विभिन्न पड़ाव पर नॉर्मल प्रोजेस्टेरोन का लेवल इस प्रकार है:

  • पीरियड साईकल की शुरुआत: 1 एनजी/एमएल से कम या उसके बराबर
  • पीरियड साईकल के दौरान: 5 से 20 एनजी/एमएल
  • प्रथम-तिमाही प्रेगनेंसी : 11.2 से 44 एनजी/एमएल
  • दूसरी तिमाही प्रेगनेंसी : 25.2 से 89.4 एनजी/एमएल
  • तीसरी तिमाही प्रेगनेंसी : 65 से 290 एनजी/एमएल

प्रोजेस्टेरोन टेस्ट में क्या लागत आती है?

प्रोजेस्टेरोन टेस्ट की लागत प्रत्येक टेस्ट के लिए 100 रु. से 1500 रु. तक होती है। प्रोजेस्टेरोन टेस्ट की कीमत संबंधित शहर, मेडिकल सुविधा की उपलब्धता और संबंधित मेडिकल टेस्ट की क्वॉलिटी के आधार पर अलग-अलग होती है।

बेस्ट क्वॉलिटी सर्विस और अनुभव प्राप्त करने के लिए इस मेडिकल टेस्ट को कराने से पहले अच्छी तरह से पता करना महत्वपूर्ण है।

प्रोजेस्टेरोन टेस्ट के रिस्क क्या हैं?

प्रोजेस्टेरोन ब्लड टेस्ट या पी4 ब्लड टेस्ट किसी भी अन्य ब्लड टेस्ट की तरह ही है। इसलिए, जब फ़्लेबोटोमिस्ट सुई डालता है, तो उस समय थोड़ा दर्द होता है। मरीज के शरीर से सुई निकालने के बाद कुछ मिनट तक ब्लीडिंग हो सकती है। इस जगह कुछ दिनों तक जखम या दर्द रह सकता है। नस में सूजन, बेहोशी और सुई वाली जगह पर इंफेक्शन जैसी गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन रोगियों में ऐसे रिएक्शन कम ही देखने को मिलते हैं। ऐसे रिएक्शन से बचने के लिए पहले से सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

निष्कर्ष

इस प्रकार, प्रोजेस्टेरोन टेस्ट एक महत्वपूर्ण टेस्ट है जिसे हर एक महिला को अच्छे हेल्थ केयर के लिए डॉक्टर से परामर्श के बाद रेगुलर रूप से कराना चाहिए। अगर हो सके, तो आपको यह सुनिश्चित करने के लिए रेगुलर टेस्ट कराना चाहिए कि लेवल नॉर्मल है या नहीं और आपकी हेल्थ में पीरियड या फर्टिलिटी संबंधी समस्याओं की कोई संभावना तो नहीं है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

  • प्रोजेस्टेरोन टेस्ट किसके लिए होता है?

प्रोजेस्टेरोन टेस्ट में संबंधित महिला के हार्मोन प्रोजेस्टेरोन के लेवल को मापा जाता है। इससे यह पता लगाने में मदद मिलती है कि महिला नॉर्मल रूप से ओव्यूलेट कर रही है या नहीं। यह हार्मोन महिला की ओवरी में बनता है। समस्या का सही पता लगाने के लिए यह टेस्ट अन्य हार्मोनों के साथ किया जाता है।

  • प्रोजेस्टेरोन का टेस्ट कब किया जाना चाहिए?

प्रोजेस्टेरोन के लेवल का टेस्ट ओव्यूलेशन का समय महीने के विशिष्ट दिनों में किया जाना चाहिए। इस हार्मोन के लेवल का टेस्ट करने का पहला सबसे अच्छा समय आपके पीरियड के पहले दिन के 18 से 24 दिन बाद है। इस हार्मोन के लेवल को चेक करने का दूसरा सबसे अच्छा समय आपके अगले पीरियड के शुरू होने से सात दिन पहले है (आपकी अनुमानित तारीख के अनुसार)।

  • नॉर्मल प्रोजेस्टेरोन लेवल क्या है?

महिलाओं में नॉर्मल प्रोजेस्टेरोन लेवल में नीचे दिए गए हैं:

  • पीरियड साईकल की फॉलिक्युलर स्टेज: 0.1 से 0.7 एनजी/एमएल
  • पीरियड साईकल की ल्यूटियल स्टेज : 2 से 25 एनजी/एमएल, युवावस्था से पहले की लड़कियां : 0.1 से 0.3 एनजी/एमएल।

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