आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब बेबी में क्या अंतर है?

Dr. Madhulika Singh
Dr. Madhulika Singh

MBBS, MS (OBGYN)

10+ Years of experience
आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब बेबी में क्या अंतर है?

आईवीएफ एक प्रजनन उपचार है जिसका उपयोग निःसंतानता से पीड़ित दम्पतियों (Couples) के माता-पिता बनने के सपने को पूरा करने के लिए किया जाता है।

आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब बेबी के बीच क्या अंतर है?

इन दोनों के बीच में कोई अंतर नहीं है। आईवीएफ से जन्मे बच्चे को “टेस्ट ट्यूब बेबी” कहते हैं। आईवीएफ के दौरान, महिला की फैलोपियन ट्यूब के बजाय, भ्रूण एक “विट्रो या पेट्री डिश या टेस्ट ट्यूब” में विकसित होता है। इसलिए आईवीएफ उपचार की मदद से जन्म लेने वाले बच्चे को “टेस्ट ट्यूब बेबी” भी कहा जाता है।

आईवीएफ उपचार की आवश्यकता किसे होती है?

जब कोई दम्पति एक वर्ष या उससे अधिक समय तक प्राकृतिक रूप से कोशिश करने के बाद भी गर्भधारण करने में असमर्थ होते हैं, तो उन्हें आईवीएफ का सुझाव दिया जाता है। निम्न कारणों से आईवीएफ की आवश्यकता हो सकती है:

  • ओव्यूलेशन नहीं होना
  • एग में कोई समस्या होना
  • एक या दोनों फैलोपियन ट्यूब में खराबी होना
  • महिला को गंभीर एंडोमेट्रियोसिस होना
  • पुरुष के पास पर्याप्त स्पर्म नहीं होना
  • आईयूआई फेल होना

आईवीएफ के दौरान क्या होता है?

उपचार की इस प्रक्रिया का पहला कदम होता है महिला के शरीर में अंडों के मैच्योर होने की प्रक्रिया को तेज़ करना। उसके बाद, निम्न प्रक्रियाओं को फॉलो किया जाता है:

  • अंडों को मैच्योर करने के लिए एचसीजी इंजेक्शन दिया जाता है।
  • हार्मोन थेरेपी के बाद, सुई और अन्य उपकरणों की मदद से अंडा निकाला जाता है।
  • स्पर्म कलेक्शन किया जाता है, जिसमें पुरुष को स्पर्म का नया सैंपल जमा करना होता है।
  • फर्टिलाइजेशन के लिए स्पर्म और अंडा को मिलाकर पेट्री डिश में रखते हैं।
  • फर्टिलाइजेशन की जांच की जाती है, और जब भ्रूण स्वाभाविक रूप से विकसित हो जाता है, तो उसे महिला के बच्चेदानी में ट्रांसफर करते हैं।
  • 14 दिनों के बाद, बच्चेदानी में ट्रांसफर किए गए भ्रूण की जांच की जाती है ताकि इस बात की पुष्टि की जा सके कि गर्भधारण सफल हुआ है या नहीं।

आईवीएफ फेल होने के क्या कारण हो सकते हैं?

कई कारण होते हैं जो आईवीएफ की सफलता को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे कि:

  • महिला की उम्र 35 साल से अधिक होना
  • भ्रूण में आनुवंशिक या क्रोमोसोमल समस्याएं होना
  • दवा देने के बाद भी अंडाशय में अण्डों का मैच्योर नहीं होना
  • भ्रूण को गर्भ में ट्रांसफर करने के बाद उसका विकास रूक जाना

आईवीएफ के बाद ध्यान देने योग्य बातें

  • स्वस्थ खान-पान का सेवन करें
  • संतुलित आहार लें
  • धूम्रपान और शराब से बचें
  • नियमित व्यायाम और योग करें
  • उपचार के लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से तैयार रहें

इसके साथ ही, अगर उपचार से पहले, उपचार के दौरान या उसके बाद आपके मन में किसी भी प्रकार का प्रश्न या चिंता हो, तो डॉक्टर से खुलकर बात करें और उन्हें अपनी चिंताओं के बारे में बताएं, ताकि आपकी सहायता की जा सके।

FAQ:

  • आईवीएफ उपचार कितना सफल है?

इसकी सफलता की दर हर महिला के लिए अलग-अलग होती है। लेकिन यह सफलता उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। युवा महिलाओं (30 से कम उम्र) में सफलता की दर लगभग 40% होती है। 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में यह दर 10-20% तक होती है।

  • क्या आईवीएफ से कोई जोखिम है?

आईवीएफ में जुड़वा बच्चे, ओवेरियन हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम और एक्टोपिक प्रेगनेंसी जैसे कुछ जोखिम हो सकते हैं, लेकिन ये दुर्लभ होते हैं।

  • आईवीएफ में कितना समय लगता है?

आमतौर पर, सम्पूर्ण प्रक्रिया को पूरा होने में लगभग 4-6 सप्ताह का समय लगता है। व्यक्तिगत परिस्थितियों और उपचार योजनाओं के आधार पर इसमें भिन्नता हो सकती है।

  • क्या आईवीएफ गर्भधारण की गारंटी देता है?

नहीं, आईवीएफ गर्भावस्था की गारंटी नहीं देता है, लेकिन यह गर्भधारण की संभावना को बढ़ाता है, खासकर उन दम्पतियों के लिए जो निःसंतानता से जूझ रहे हैं।

  • आईवीएफ के दौरान जीवनशैली में किन बदलावों की सिफारिश की जाती है?

आईवीएफ के दौरान, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, धूम्रपान, अत्यधिक शराब और तनाव प्रबंधन सहित स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने की सिफारिश की जाती है, जो आईवीएफ की सफलता को बढ़ाता है।

  • क्या आईवीएफ इमोशनल हेल्थ को प्रभावित कर सकता है?

हां, उपचार का तनाव, परिणामों की अनिश्चितता और हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण  आईवीएफ उपचार भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसलिए परिवार, दोस्तों और डॉक्टर से सहायता लेना महत्वपूर्ण होता है।

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