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टेस्ट ट्यूब बेबी में कितना ख़र्च आता है?

टेस्ट ट्यूब बेबी में कितना ख़र्च आता है?

Dr. Prachi Benara
Dr. Prachi Benara

MBBS (Gold Medalist), MS (OBG), DNB (OBG), PG Diploma in Reproductive and Sexual health

16 Years of experience

टेस्ट ट्यूब बेबी में कितना ख़र्च आता है?

भारत में आईवीएफ़ का ख़र्च प्रति साइकल ₹1,00,000 से ₹3,50,000 तक हो सकता है। इसके ख़र्च को प्रभावित करने वाले कई कारक होते हैं, जैसे कि क्लीनिक की जगह, अस्पताल का ब्रैंड, केस की जटिलता और ज़रूरत के हिसाब से अतिरिक्त चिकित्सा सेवा। नीचे भारत में आईवीएफ़ पर होने वाले ख़र्च का एक आकलन पेश किया गया है:

प्रक्रिया औसत ख़र्च
शुरुआती कंसल्टेशन और डाग्नोसिस ₹5,000 – ₹15,000

 

ओवरी स्टिमुलेशन के लिए दवाइयां प्रति साइकल ₹20,000 – ₹50,000
स्टैंडर्ड आईवीएफ़ प्रोसिज़र प्रति साइकल ₹1,00,000 – ₹2,00,000
इंट्रासाइटोप्लाज़्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई) प्रति साइकल ₹20,000 – ₹50,000
डोनर एग ₹1,50,000
डोनर स्पर्म ₹35,000 – ₹55,000
एम्ब्रियो फ़्रीज़िंग ₹20,000 – ₹30,000

*नोट: ख़र्च का यह टेबल एक बुनियादी आकलन पेश करता है। अलग-अलग क्लीनिक में ख़र्च में अंतर हो सकता है

जेनेटिक टेस्टिंग या भ्रूण फ़्रीज़िंग जैसी ऐडवांस तकनीकों की ज़रूरत पड़ने पर लागत और बढ़ सकती है। कुछ क्लीनिक कई साइकल के लिए इकट्ठे पैकज भी देते हैं, ताकि बार-बार आईवीएफ़ की कोशिश करने वाले दंपतियों के लिए कुल ख़र्च कम हो जाए।

टेस्ट ट्यूब बेबी क्या है?

टेस्ट ट्यूब बेबी का मतलब है इन विट्रो फ़र्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ़ के ज़रिए कंसीव किया गया बच्चा। यह एक ऐडवांस क़िस्म की प्रजनन तकनीक (एआरटी) है। इस प्रक्रिया में महिला की ओवरी से एग निकाले जाते हैं और उन्हें लैबोरेटरी के कंट्रोल किए गए वातावरण में स्पर्म के साथ फ़र्टिलाइज़ किया जाता है। फ़र्टिलाइज़ हुए एग या एम्ब्रियो को बाद में महिला के गर्भाशय (यूटरस) में ट्रांसफ़र कर दिया जाता है, जहां यह प्राकृतिक रूप से आगे विकसित होता है।

कई लोग “टेस्ट ट्यूब बेबी” का शाब्दिक अर्थ लगाते हुए यह धारणा बना लेते हैं कि यह किसी टेस्ट ट्यूब में विकसित हुआ बच्चा होता है। हालांकि, लैब में इस्तेमाल होने वाले वास्तविक टेस्ट ट्यूब का इससे कोई लेना-देना नहीं होता। फ़र्टिलाइज़ेशन की प्रक्रिया पेट्री डिश में की जाती है और इसके लिए सटीक कंडीशन तैयार किया जाता है। यह विधि उन महिलाओं के लिए ख़ास तौर पर फ़ायदेमंद है, जिनके फ़ैलोपिन ट्यूब में अवरोध होता है या फिर जिनके पार्टनर का स्पर्म काउंट कम होता है

टेस्ट ट्यूब ख़र्चे को प्रभावित करने वाले कारक

आईवीएफ़ के कुल ख़र्च को प्रभावित करने वाले कुछ मुख्य कारक हैं:

  1.     जगह: मेट्रो शहरों (जैसे मुंबई, बेंगलुरु या दिल्ली) में आईवीएफ़ के ख़र्चे छोटे शहरों की तुलना में ज़्यादा होते है।
  2.     मेडिकल कंडीशन: अगर कोई ख़ास तरह की मेडिकल कंडीशन है, तो उसमें अतिरिक्त टेस्ट और इलाज की ज़रूरत पड़ सकती है। इससे ख़र्च बढ़ सकता है।
  3.     डोनर मैटिरियल: अगर दूसरे व्यक्ति के स्पर्म, एग या एम्ब्रियो की ज़रूरत पड़ती है, तो इससे ख़र्च बढ़ सकता है।
  4.     अतिरिक्त सेवाएं: आईसीएसआई या प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (पीजीटी) जैसी ऐडवांस तकनीक का इस्तेमाल करने पर ख़र्च बढ़ जाता है।
  5.     साइकल की संख्या: कई दंपतियों को पहली बार में ही क़ामयाबी मिल जाती है, लेकिन कई लोगों को एक से ज़्यादा बार आईवीएफ़ साइकल का इस्तेमाल करना पड़ता है, जिससे ख़र्च बढ़ जाता है।

फ़ाइनैंशियल सहायता और EMI विकल्प

आईवीएफ़ ट्रीटमेंट के ख़र्चों को देखते हुए, कई क्लीनिक फ़ाइनैंस की भी सुविधा देते हैं, ताकि पूरी प्रक्रिया आम लोगों के लिए आसान हो सके। बैंकों के सहयोग से ईएमआई यानी मासिक किस्त योजनाओं की सुविधा भी मिल जाती है। इससे भुगतान में आसानी होती है। कुछ क्लीनिक फ़ाइनैंशियल इंस्टीट्यूशन के साथ मिलकर आईवीएफ़ के लिए अलग से लोन का विकल्प भी देते हैं।

धीरे-धीरे सरकार भी इस दिशा में पहल करने लगी है। उदाहरण के लिए, गोवा भारत का पहला राज्य है जिसने सरकारी अस्पतालों में आईवीएफ़ की मुफ़्त सुविधा देने की शुरुआत की। कुछ ग़ैर-सरकारी संगठन यानी एनजीओ भी इसके लिए आंशिक फ़ंडिंग या सब्सिडी देते हैं।

टेस्ट ट्यूब बेबी में कितना टाइम लगता है?

आईवीएफ़ की पूरी प्रक्रिया में प्रति साइकल लगभग 4–6 हफ़्ते का समय लगता है। इसमें हर स्टेज की अलग-अलग समय-सीमा होती है, आइए जानते हैं:

  1.     ओवरी स्टिम्युलेशन: 10–14 दिनों तक हार्मोनल इंजेक्शन।
  2.     एग रिट्रिवल: एनेस्थीसिया के बाद 20–30 मिनट की सर्जरी।
  3.     एम्ब्रियो ट्रांसफ़र: फ़र्टिलाइज़ेशन के 3–5 दिनों बाद।
  4.     प्रेगनेंसी टेस्ट: एम्ब्रियो ट्रांसफ़र के 10–14 दिनों बाद ब्लड टेस्ट के ज़रिए प्रेगनेंसी की जांच

अगर साइकल में फ़्रोज़न एम्ब्रियो, जेनेटिक टेस्टिंग या फिर अतिरिक्त इलाज की ज़रूरत पड़ती है, तो समय सीमा उसी अनुपात में आगे बढ़ सकती है।

टेस्ट ट्यूब बेबी और आईवीएफ़ में क्या अंतर होता है?

टेस्ट-ट्यूब बेबी और आईवीएफ़ का इस्तेमाल अक्सर एक ही अर्थ में किया जाता है, जोकि सही भी है। असल में दोनों एक ही चीज़ के दो नाम हैं। टेस्ट ट्यूब बेबी आम बोल-चाल में ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला शब्द है, लेकिन विज्ञान की भाषा में इस प्रक्रिया को आईवीएफ़ कहा जाता है। इसलिए, शब्दों के अलावा दोनों में बहुत ज़्यादा बुनियादी अंतर नहीं है। इसमें फ़र्टिलाइज़ेशन की प्रक्रिया को बाहर अंज़ाम देने के बाद एम्ब्रियो को महिला के यूटरस में ट्रांसफ़र कर दिया जाता है। हां, अगर फ़ैक्ट के हिसाब से देखें, तो आईवीएफ़ और टेस्ट ट्यूब बेबी के बीच का अंतर बस इतना है कि आईवीएफ़ एक प्रक्रिया है और इस प्रक्रिया से पैदा हुए बच्चे को लोग टेस्ट ट्यूब बेबी कहते हैं।

केस स्टडी:

दिल्ली के रहने वाले रितु और अमन को शादी के सात साल बाद तक संतान नहीं हुई थी। परेशान होकर उन्होंने शहर के एक मशहूर क्लीनिक में आईवीएफ़ का विकल्प चुना, जिसमें उन्हें कुल ₹3,00,000 ख़र्च करने पड़े। दो साइकल के बाद रितु प्रेगनेंट हुईं और उन्होंने निर्धारित समय पर एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया। आईवीएफ़ के अनुभव पर रितु कहती हैं, “आईवीएफ़ की पूरी प्रक्रिया उम्मीदों और धैर्य से भरा सफर था। यह ज़रूर है कि इसमें मुझे मोटा ख़र्च करना पड़ा, लेकिन अपने बच्चे को गोद में उठाने की ख़ुशी के आगे ये पैसे कुछ भी नहीं हैं।”

टेस्ट ट्यूब बेबी से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल: भारत में आईवीएफ़ का सक्सेस रेट क्या है?

जवाब: भारत में आईवीएफ़ की सक्सेस रेट प्रति साइकल 30–50% के बीच है, जो महिला की उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करती है।

सवाल: क्या आईवीएफ़ की प्रक्रिया दर्दनाक होती है?

जवाब: इस प्रक्रिया में हल्की असुविधा हो सकती है, लेकिन ऐडवांस तकनीक और एनेस्थीसिया की मदद से पूरी प्रक्रिया में दर्द का अनुभव कम होता है।

सवाल: क्या आईवीएफ़ से जन्मे बच्चे प्राकृतिक रूप से जन्मे बच्चों से कमज़ोर होते हैं?

जवाब: नहीं, आईवीएफ़ से जन्मे बच्चे उतने ही स्वस्थ और सामान्य होते हैं जितने कि प्राकृतिक रूप से जन्मे बच्चे। प्रेगनेंसी की विधि का असर उनके शारीरिक या मानसिक विकास के ऊपर नहीं पड़ता।

आईवीएफ़ से पहले की चेकलिस्ट

अगर आप आईवीएफ़ कराने के बारे में सोच रही हैं, तो ये तैयारियां कर लें:

  • अच्छा क्लीनिक खोजें: हाई सक्सेस रेट और मरीजों की फ़ीडबैक के आधार पर सही क्लीनिक चुनें।
  • ख़र्चों को समझें: ख़र्च को विस्तार से समझें और सभी हिडन कॉस्ट के बारे में जानकारी हासिल कर लें।
  • बजट बनाएं: ईएमआई के विकल्पों और सरकारी या ग़ैर-सरकारी सब्सिडी का पता लगाएं।
  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: नशीले पदार्थों का सेवन बंद करें, संतुलित आहार लें और व्यायाम करें।

निष्कर्ष

आईवीएफ़ उन महिलाओं के लिए वरदान की तरह आया है जो काफ़ी कोशिशों के बावजूद प्राकृतिक रूप से प्रेगनेंट नहीं हो पातीं। प्रजनन की दुनिया में यह किसी क्रांति से कम नहीं है। इसके बूते लाखों-करोड़ों लोगों की उम्मीदें ज़िंदा हैं। हालांकि, आईवीएफ़ का विकल्प चुनने से पहले आपको इसके ख़र्च को अच्छे से समझना चाहिए और इसके लिए ज़रूरी तैयारियां पहले से करनी चाहिए।

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