सरोगेसी: आवश्यकता, प्रक्रिया, और खर्च

Dr. Priyanka Yadav
Dr. Priyanka Yadav

MBBS, DGO, DNB, MNAMS (Obstetrics and Gynaecology)

15+ Years of experience
सरोगेसी: आवश्यकता, प्रक्रिया, और खर्च

जो कपल चाह कर भी प्राकृतिक रूप से माता-पिता नहीं बन पाते हैं, सरोगेसी उन महिलाओं के लिए एक वरदान है। सरोगेसी के साथ आधुनिक विज्ञान ने फर्टिलिटी की दुनिया में क्रांति ला दी है।

वर्तमान में लोग धीरे-धीरे इस आधुनिक प्रक्रिया के बारे में समझ और जान रहे हैं। यही कारण है कि सरोगेसी के बारे में अधिकतर लोगों ने कभी न कभी सुना ही होगा। हालांकि अभी भी भारत का एक बड़ा पक्ष है, जो इस प्रक्रिया से अंजान है। चलिए सरोगेसी से संबंधित कुछ प्रश्नों और उनके उत्तर जानते हैं जैसे – सरोगेसी क्या है, इसकी आवश्यकता क्यों है, इसमें कितना खर्च आता है और इसकी सफलता दर कितनी है।

सरोगेसी क्या है?

सरोगेसी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें सरोगेट मदर किसी दूसरे कपल या सिंगल पेरेंट के लिए बच्चे को अपने कोख से जन्म देती है। बच्चे को अपनी कोख से जन्म देती है।, इंटेंडेड पेरेंट्स (Intended Parents) कानूनी रूप से बच्चे के माता-पिता बन जाते हैं। इंटेंडेड पेरेंट्स वह होते हैं जो सरोगेट चाइल्ड की इच्छा रखते हैं।

सरोगेसी की आवश्यकता किसे होती है?

सरोगेसी की आवश्यकता कई स्थितियों में होती है। जब एक कपल किसी भी कारणवश स्वयं गर्भधारण करने में विफल रहते हैं, तब वह कपल सरोगेसी की प्रक्रिया की तरफ अपना रुख करते हैं। निम्न स्थितियों में सरोगेसी की आवश्यकता होती है –

  • बार-बार मिसकैरेज होना।
  • बच्चेदानी का कमजोर होना।
  • बच्चेदानी में किसी तरह की समस्या होना।
  • बच्चेदानी में टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस होना।
  • जन्म से ही बच्चेदानी का ना होना।
  • तीन या उससे अधिक बार आईवीएफ ट्रीटमेंट का विफल होना।
  • सिंगल पेरेंट और पुरुष बांझपन

इसके साथ-साथ कुछ ऐसी बीमारी भी होती हैं, जो गर्भधारण करने की संभावना को खत्म कर सकती है।

सरोगेसी कितने प्रकार की होती है?

मुख्य रूप से सरोगेसी दो प्रकार की होती हैं। चलिए दोनों को एक-एक करके समझते हैं –

  • ट्रेडिशनल सरोगेसी (Traditional Surrogacy):  इस प्रकार की सरोगेसी में पिता के स्पर्म को सरोगेट मदर के अंडे के साथ फर्टिलाइज कराया जाता है। इस प्रक्रिया में सरोगेसी के लिए आए हुए माता-पिता पेरेंट में से सिर्फ पुरुष के स्पर्म का प्रयोग किया जाता है। 
  • जेस्टेशनल सरोगेसी (Gestational Surrogacy):  जेस्टेशनल सरोगेसी में आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) तकनीक का उपयोग करके सरोगेट चाइल्ड की इच्छा रखने वाले माता-पिता पेरेंट के अंडे और स्पर्म को मिलाकर एंब्रियो तैयार किया जाता है। 

सरोगेसी की प्रक्रिया

सरोगेसी की प्रक्रिया थोड़ी जटिल होती है। चलिए इसे आसान भाषा में समझते हैं –

लीगल एग्रीमेंट

सबसे पहले बच्चेसरोगेट चाइल्ड की इच्छा रखने वाले माता-पिता पेरेंट और सरोगेट मदर के बीच एक लीगल एग्रीमेंट बनाया जाता है। इसमें सारी शर्तें लिखी जाती हैं जैसे कि सरोगेट मदर सिर्फ बच्चे को अपने गर्भ में रखेगी और बच्चे के जन्म के बाद उसे उनके कानूनी तौर पर  लीगल पेरेंट को 

 इंटेंडेड पेरेंट को सौंपना होगा। सरोगेट मदर की फीस भी इस एग्रीमेंट में लिखी होती है। 

एंब्रियो ट्रांसफर

इस चरण में अंडे और स्पर्म को साथ लेकर फर्टिलाइज कराया जाता है। जब वह एंब्रियो में परिवर्तित हो जाता है, तो उसे सरोगेट मदर के गर्भ में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

गर्भावस्था और प्रसव

एंब्रियो ट्रांसफर के कुछ समय के बाद महिलाएं गर्भ धारण कर लेती हैं और इसके कुछ समय के बाद वह प्राकृतिक रूप से एक संतान को जन्म भी दे देती है। बच्चेसरोगेट चाइल्ड की इच्छा रखने वाले माता-पिता पेरेंट हमेशा एक स्वस्थ सरोगेट मदर की खोज में होते हैं, क्योंकि वह स्वस्थ संतान की इच्छा रखते है। 

पेरेंट को बच्चे को सौंपना

एग्रीमेंट की तर्ज पर बच्चे के जन्म के बाद उसे इंटेंडेड पेरेंट को सौंप दिया जाता है और उसी दौरान सरोगेट मदर की पूरी फीस भी दे दी जाती है।

सरोगेसी में कितना खर्च आता है?

आमतौर पर भारत में सरोगेसी का खर्च लगभग 10 -15 लाख रुपए तक आ सकता है। हालांकि, इस प्रक्रिया का अंतिम खर्च कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे –

  • सरोगेसी का प्रकार
  • अस्पताल का प्रकार और लोकेशन
  • डॉक्टर का अनुभव
  • सरोगेट मदर की फीस (आवश्यकता पड़ने पर)
  • स्पर्म या एग डोनर की फीस (आवश्यकता पड़ने पर)

हालांकि, भारत में सरोगेसी में लगने वाला खर्च निर्धारित नहीं है। यदि आप सरोगेसी के जरिए माता – पिता बनने का सपना पूरा करना चाहते हैं, तो हम आपकी इसमें मदद कर सकते हैं। अपना कंसल्टेशन सेशन बुक करें।

निष्कर्ष

हालांकि सरोगेसी एक जटिल प्रक्रिया है, यह उन लोगों को एक अनोखा अवसर प्रदान करता है, जिनके माता-पिता बनने का सपना पूरा नहीं हो पाता है। सावधानीपूर्वक विचार, उचित मार्गदर्शन और इमोशनल सपोर्ट के साथ सरोगेसी संतानहीन कपल के जीवन में खुशहाली फिर से ला रहा है और उनके माता-पिता बनने की इच्छा को पूरा कर रहा है।

सरोगेसी के अतिरिक्त हम बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ पूरे भारत में फर्टिलिटी और आईवीएफ संबंधित सभी समस्याओं का इलाज प्रदान करने के लिए जाने जाते हैं। किसी भी प्रकार की फर्टिलिटी  संबंधित समस्या के इलाज के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सरोगेसी उन कपल्स या सिंगल पेरेंट्स के लिए उपयुक्त है, जो स्वयं गर्भधारण करने में असमर्थ हैं। इसके कई कारण हैं जैसे बार-बार मिसकैरेज होना, कमजोर बच्चेदानी, पुरुष बांझपन आदि।

भारत में इस प्रक्रिया के लिए सरोगेसी कानून है। वर्तमान में भारत में कमर्शियल सरोगेसी लीगल नहीं है। अर्थात, लोग इसे व्यवसाय नहीं बना सकते हैं। इस पर अभी भी पाबंदी है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य आवश्यक बातें भी होती हैं, जिन्हें हम प्रक्रिया से पहले कपल्स के साथ साझा करते हैं।

हां, सरोगेसी एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें भावनात्मक उतार-चढ़ाव भी आते हैं। इसमें सरोगेट मदर और सरोगेट  चाइल्ड की इच्छा रखने वाले पेरेंट्स दोनों को ही कंसल्टेशन की आवश्यकता होती है।

सभी फर्टिलिटी उपचारों में से सबसे अधिक सफलता दर सरोगेसी की ही है। इस प्रक्रिया की सफलता दर लगभग 60 से 80 प्रतिशत है, जो कि किसी भी फर्टिलिटी के उपचार में सबसे ज्यादा है। यह दर हर कपल के अनुसार बदलती रहती है।

सरोगेसी प्रक्रिया को जिस महिला के ऊपर कराया जाता है, वह सरोगेट मदर (Surrogate Mother) कहलाती है। इस प्रक्रिया में एक महिला सरोगेट मदर अपनी इच्छा से ही बनती हैं। बच्चे के जन्म के बाद उस बच्चे को पेरैंट को सौंप दिया जाएगा।