गर्भावस्था यानी प्रेगनेंट होकर एक नए जीवन को जन्म देना और माता-पिता बनने का सुख प्राप्त करना – दुनिया की सबसे खूबसूरत पलों में से एक है। गर्भधारण कर शिशु को जन्म देना 9 महीने की एक लंबी प्रक्रिया है। इस पूरी प्रक्रिया में पति-पत्नी दोनों को अनेक बातों का ख़ास ध्यान देना होता है।
गर्भधारण करने में पुरुष और महिला दोनों की प्रजनन क्षमता की सबसे बड़ी भूमिका होती है। दोनों में से किसी भी एक की प्रजनन क्षमता में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर गर्भधारण करने में अड़चनें पैदा हो सकती हैं। नतीजतन, गर्भधारण कर शिशु को जन्म देने का सपना अधूरा रह सकता है।
बहुत से ऐसे कारक हैं जो पुरुष या महिला की प्रजनन क्षमता को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। उनमें से एक है तनाव। तनाव एक मानसिक विकार है जिसमें व्यक्ति की भावनाएं अनियंत्रित हो जाती हैं। इस स्थिति में इंसान आक्रामक या शांत हो सकता है।
तनाव होने पर व्यक्ति के दिमाग में नकारात्मक विचार हावी हो जाते हैं जिसका बुरा असर उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। विशषज्ञों का कहना है कि तनाव की स्थिति में व्यक्ति का दिमाग सही से काम करने और किसी भी ख़ुशी के मौके पर प्रसन्न होने में असक्षम होता है।
तनाव से प्रभावित होन पर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सही से काम करना बंद कर देते हैं जिससे महिला/पुरुष की प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ता है और उन्हें गर्भधारण करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
तनाव प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करता है –
जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया की तनाव का पुरुष और महिला दोनों की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है जिससे उन्हें गर्भधारण करने में परिशानियों का सामना करना पड़ता है। आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि तनाव पुरुष और महिला की प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करता है:
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महिला की प्रजनन क्षमता पर तनाव का प्रभाव
तनाव के कारण महिला के शरीर में हार्मोनल असंतुलन होता है जिससे समय पर अंडाशय में अंडे परिपक्व (Mature) होकर रिलीज नहीं होते हैं। समय पर अंडों के मैच्योर और रिलीज नहीं पर ओवुलेशन की क्रिया पूरी नहीं होती।
ओवुलेशन नहीं होने पर निषेचन की क्रिया पूरी नहीं होती है जिससे गर्भधारण नहीं होता है। साथ ही साथ, नियमित रूप से पीरियड्स भी नहीं आते हैं जिससे महिला को अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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पुरुष की प्रजनन क्षमता पर तनाव का असर
शोध के मुताबिक, शुक्राणुजनन के दौरान पुरुष के अंडकोष (Testicles) हर दिन लाखों की संख्या में स्पर्म का उत्पादन करते हैं – लगभग 1500 स्पर्म हर सेकेंड। इस साइकिल के अंत तक पुरुष के अंडकोष में लगभग 800 करोड़ स्पर्म का उत्पादन होता है।
अध्ययनों में पाया गया है कि जो पुरुष तनाव में होते हैं उनमें टेस्टोस्टेरोन में कमी, शुक्राणुओं की संख्या में कमी, असामान्य शुक्राणु उत्पादन और शुक्राणु की गतिशीलता में कमी की शिकायत होती है। ये सभी समस्याएं पुरुष की समग्र प्रजनन क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं।
जीवनशैली पर तनाव का प्रभाव – Stress Effect on Lifestyle
तनाव पुरुष और महिला की जीवनशैली पर बुरा असर डालता है। शोध के मुताबिक, तनाव होने पर एक व्यक्ति की जीवनधैली निम्न रूप से प्रभावित होती है:
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पर्याप्त या अत्याधिक सोना
तनाव होने पर एक व्यक्ति पर्याप्त या अत्याधिक समय तक नींद सोता है। जरूरत से कम या अधिक नींद सोने पर वजन बढ़ या घट सकते हैं। इन दोनों ही स्थितियों में उनकी प्रजनन क्षमता पर असर पड़ सकता है।
अगर आपको तनाव है तो विशेषज्ञ से परामर्श कर तनाव के मुख्य कारण की पुष्टि करनी चाहिए। उसके बाद, नियमित काउंसिलिंग की मदद से इस समस्या को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।
तनाव के प्रभाव को काम करने का सबसे प्रभावशाली तरीका है अपनी रूटीन को फॉलो करना यानी समय पर सोना और समय पर जागना।
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प्रॉपर डाइट नहीं लेना
तनाव का असर हर व्यक्ति पर अलग-अलग हो सकता है। तनाव के लक्षणों में शामिल हैं आवश्यकता से ज्यादा या कम भोजन करना। अधिकतर मामलों में लोग तनाव होने पर अनहेल्दी डाइट लेना शुरू कर देते हैं जिससे उनकी प्रजनन स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
प्रजनन स्वास्थ्य पर तनाव के असर को कम करने के लिए आपको स्वस्थ डाइट लेना चाहिए। आपको अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल और दूसरी हेल्दी खान-पान की चीजों को शामिल करना चाहिए।
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चाय और कॉफी का सेवन करना
सीमित मात्रा में चाय या कॉफी का सेवन करने से आपका तनाव कम हो सकता है, लेकिन अत्याधिक मात्रा में इनका सेवन आपके लिए समस्याएं खड़ी कर सकता है। चाय और कॉफी में कैफीन होती है जिससे प्रजनन क्षमता पभावित हो सकती है। हालाँकि, अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है।
अत्याधिक मात्रा में कैफीन का सेवन आपके शरीर में दूसरी समस्याएं पैदा कर सकता है जो आगे जाकर आपकी प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। यही कारण है कि डॉक्टर उन दंपतियों को कैफीन के अधिक सेवन से मना करते हैं जो गर्भधारण करने की कोशिश कर रहे होते हैं या जो गर्भधारण कर चुके होते हैं।
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शराब या सिगरेट का सेवन करना
आमतौर पर यह देखा गया है कि तनाव को दूर करने के लिए लोग शराब या सिगरेट का सेवन करते हैं। अध्ययनों में यह पाया गया है कि सिगरेट या शराब का सेवन पुरुष और महिला दोनों की प्रजनन क्षमता को काफी हद तक कम करता है। इनका सेवन करने से गर्भधारण की संभावना घटती है।
अगर आपको तनाव से ग्रसित हैं तो उसे कम करने के लिए शराब या सिगरेट का सेवन करने के बजाय डॉक्टर से परामर्श कर उचित उपचार कराना चाहिए।
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व्यायाम नहीं करना
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि कुछ लोगों में तनाव होने पर उनकी भूख बढ़ जाती है और वे सामान्य की तुलना में अधिक मात्रा फास्ट फूड्स, कोल्ड ड्रिंक्स, फल और दूसरी खान-पान की चीजों का सेवन करने लगते हैं। इससे उनका वजन बढ़ जाता है जो मोटापा का कारण बनता है।
आप सभी को यह अवश्य मालूम होगा कि मोटापा निःसंतानता यानी इनफर्टिलिटी के मुख्य कारणों में से एक है। अगर आप इस स्थिति से गुजर रहे हैं तो आपको नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए ताकि आपका वजन संतुलित रहे और आपको गर्भधारण करने में किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े।
तनाव एक आम समस्या है जो अनेक कारणों से हो सकता है जैसे की पर्स्नल या प्रोफेशनल जीवन में संतुलन नहीं होना आदि।
निष्कर्ष
लगभग हर दस में से दो लोग तनाव से ग्रसित हैं। अगर आप तनाव से ग्रसित हैं तो सबसे पहले आपको इसका उचित उपचार कराना चाहिए। तनाव के उपचार में देरी करने से आपको प्राकृतिक या चिकित्सकीय रूप से गर्भधारण करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या स्ट्रेस से पुरूषों का स्पर्म काउन्ट कम हो जाता है?
शोध के मुताबिक, स्ट्रेस पुरुष के स्पर्म काउंट यानी संख्या को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
क्या प्रेगनेंट महिला का स्ट्रेस बच्चे पर पड़ता है?
हाँ. जब एक गर्भवती महिला तनाव में होती है तो उसके गर्भ में पल रहे शिशु पर बुरा असर पड़ता है। विशेषज्ञ का यह भी कहना यही कि कुछ मामलों में तनाव के कारण गर्भपात हो सकता है।
कौन सी चीजें फर्टिलिटी पर प्रभाव डालती हैं?
फर्टिलिटी को अनेक कारक प्रभावित करते हैं जिसमें मुख्य रूप से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य शामिल है। जब एक पुरुष या महिला को शारीरिक या मानसिक समस्या होती है तो परोक्ष रूप से (Indirectly) उसका असर उनकी प्रजनन क्षमता पर भी पड़ सकता है।