प्रेगनेंसी का सातवां महीना (7 Month Pregnancy in Hindi), मां और बच्चा – दोनों के लिए बेहद अहम पड़ाव होता है। इस दौरान मां और बच्चे में तेज़ी से बदलाव होते हैं। दो तिमाही के ख़त्म होने के बाद यह तीसरी तिमाही की शुरुआत है। इस लेख में हम प्रेगनेंसी के 7 महीने में दिखने वाले लक्षणों, Pregnancy ke 7 month ke lakshan, बच्चे के विकास और ज़रूरी सावधानियों पर चर्चा करेंगे, ताकि आप इस चरण में अपना अपने शिशु का अच्छे से ख़याल रख सकें।
प्रेगनेंसी की यह अवधि कई मायनों में बेहद अहम है और इसमें शारीरिक और मानसिक स्तर पर होने वाले बदलावों के लिए ख़ुद को तैयार रखना भी काफ़ी ज़रूरी है। इसलिए, आपको यह पता होना चाहिए कि प्रेगनेंसी के 7 महीने में कौन-कौन से लक्षण देखने को मिल सकते हैं और इन लक्षणों के बाद ख़ुद को किस तरह तैयार करें।
गर्भवती यानी प्रेगनेंट महिला का शरीर भी ख़ुद को बच्चे के हिसाब से ढालना शुरू कर देता है और इस प्रक्रिया में शरीर में कई अहम बदलाव होने शुरू हो जाते हैं। इनमें से कुछ सामान्य लक्षणों के बारे में नीचे बताया गया है:
सुझाव: लंबे समय तक खड़े होने से बचें और सोते समय पैरों को ऊंचा उठाएं। बीच-बीच में बिस्तर पर इस मुद्रा में लेटते रहें।
सुझाव: आम तौर पर यह दर्द समय से साथ कम हो जाता है, लेकिन अगर दर्द ज़्यादा और नियमित हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
सुझाव: प्रेग्नेंसी सपोर्ट बेल्ट का इस्तेमाल करें और अच्छा पोस्चर बनाए रखें।
सुझाव: अगर पेशाब करते समय दर्द या जलन होती है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
सुझाव: कम-कम मात्रा में खाएं और ज़्यादा तेल-मसाले से बचें।
सुझाव: सांस से जुड़े सामान्य व्यायाम करें और तनकर बैठें।
इसके अलावा, प्रेगनेंसी के सातवें महीने में चक्कर आना एक सामान्य लक्षण है। इसकी कई वजहें हैं। मसलन, बच्चा तेज़ी से बड़ा होता है, इसलिए उसे ज़्यादा कैलोरी की ज़रूरत पड़ती है। ब्लड शुगर में होने वाले बदलावों के कारण भी यह लक्षण देखने को मिलता है। यह बेहद सामान्य है।
प्रेगनेंसी के सातवें महीने में महिलाओं में कई तरह के भावनात्मक बदलाव आने लगते हैं। इनमें कुछ सामान्य बदलाव ये हैं:
सातवां महीना, बच्चे के विकास के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं इस दौरान बच्चे में किस तरह के बदलाव होते हैं और गर्भावस्था के 7 महीने में बच्चे की स्थिति (7 मंथ प्रेगनेंसी बेबी पोजीशन) क्या होती है।
बदलाव | विवरण |
आकार और वज़न | बच्चा लगभग 15–16 इंच लंबा और उसका वज़न 1.2 से 1.5 किलो का हो जाता है। |
फ़ैट जमा होना | शरीर पर वसा की परतें बननी शुरू हो जाती हैं, जिससे त्वचा चिकनी हो जाती है। |
बालों का विकास | शरीर पर नर्म-नर्म बाल उगने शुरू हो जाते हैं |
इसके अलावा, बच्चे अपनी पलकें खोलना और बंद करना सीख जाता है। वह गर्भाशय में तेज़ी से घूमना और लातें मारना शुरू कर देता है।
मां को अक्सर बच्चे की गतिविधियों में बढ़ोतरी महसूस होती है, जैसे कि लातें मारना और पलटना। बच्चा अब बाहरी चीज़ों को लेकर संवेदनशील हो जाता है। वह अपने आस-पास के वातावरण को समझना शुरू कर देता है और स्पर्श पर भी प्रतिक्रिया जताने लग सकता है।
प्रेगनेंसी के सातवें महीने के लक्षण जानने के बाद यह जानना ज़रूरी है कि इस दौरान खाने में क्या-क्या लेना चाहिए, ताकि बच्चे के विकास को बढ़ावा मिल सके और मां का स्वास्थ्य भी बेहतर हो सके।
पोषक तत्व | अहमियत | स्रोत |
आयरन | एनीमिया को रोकता है और ऑक्सीजन आपूर्ति को बढ़ाता है | हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, दालें, लाल मांस |
कैल्शियम | बच्चे की हड्डियों और दांतों को मज़बूत करता है | डेरी उत्पाद, फ़ोर्टिफ़ाइड सीरियल |
ओमेगा-3 फ़ैटी ऐसिड | मस्तिष्क और आंखों के विकास में सहायक | मछली, अखरोट, अलसी (फ़्लैक्ससीड) |
इसके अलावा, यह बेहद ज़रूरी है कि शरीर को तरल बनाए रखने यानी हाइड्रेशन बरकरार रखने के लिए दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं।
खाने-पीने के अलावा इस दौरान महिलाओं को बहुत सारी सावधानियां बरतनी पड़ती है। इनमें से कुछ चीज़ों के बारे में नीचे बताया गया है:
सही और सुरक्षित तरीक़े से की जाने वाली शारीरिक गतिविधियों से न सिर्फ़ वज़न मैनेज करने में आसानी होती है, बल्कि इससे तनाव भी कम होता है और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।
प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में गहरी नींद मिलना मुश्किल हो सकता है। इसलिए,
बच्चे की गतिविधियों पर नज़र रखें, ताकि नियमित रूप से उसके स्वास्थ्य का आकलन किया जा सके।
लक्षण | संभावित कारण | क्या कदम उठाएं |
योनी से ज़्यादा रक्तस्राव | प्लेसेंटा अब्रप्शन या प्रीटर्म लेबर | तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें |
चेहरा और हाथों में अत्यधिक सूजन | प्रीक्लेम्पसिया | डॉक्टर से मिलें |
पेट में लगातार दर्द | गर्भाशय संबंधित दिक़्क़त | अस्पताल जाएं |
बच्चे की गतिविधियों में कमी | शिशु संबंधित दिक़्क़त | अल्ट्रासाउंड कराएं, डॉक्टर से मिलें |
डिलीवरी की तारीख़ नज़दीक आने पर ख़ुद को मानसिक रूप से तैयार करना बेहद ज़रूरी है। इसके अलावा, कई सारी चीज़ें ऐसी हैं जो आपको पहले से तैयार करने रखनी चाहिए। नॉर्मल डिलीवरी या फिर सी-सेक्शन के लिए मेडिकल स्थिति के आधार पर अपनी प्राथमिकता भी आपको पहले से स्पष्ट कर लेना चाहिए। इसके साथ-साथ कुछ चीज़ें आपको पहले से ख़रीदकर रखनी चाहिए। जैसे, आरामदायक कपड़े और मैटरनिटी पैड, बच्चे के ज़रूरी सामानों में डायपर, तौलिया/कंबल और कपड़े। हां, मेडिकल रिकॉर्ड और पहचान पत्र साथ में रखना न भूलें।
जवाब: हां, आम तौर पर छोटे सफर में कोई तकलीफ़ नहीं होती, लेकिन डॉक्टर से पूछे बग़ैर यात्रा करने से परहेज बरतें। साथ ही, अगर डॉक्टर ने यात्रा संबंधी कोई सलाह दी है, तो उस पर ज़रूर अमल करें।
जवाब: सोने से पहले पैरों को स्ट्रेच करें, आहार में मैग्नीशियम की मात्रा बढ़ाएं और अपनी प्यास के हिसाब से पानी पिए, ताकि आपके शरीर में पानी की कमी न हो।
जवाब: हां, गर्भाशय का आकार बढ़ने से डायाफ़्राम पर दबाव बढ़ता है। इससे सांस फूलने लगती है। सांस से जुड़ी हल्का व्यायाम करने से आपको मदद मिल सकती है।
मिथ | फ़ैक्ट |
बड़ा पेट मतलब जुड़वा बच्चे होने वाले हैं | पेट का आकार मां के आकार, बच्चे की स्थिति और एमनियोटिक फ़्लुइड की मात्रा पर निर्भर करता है। बड़ा पेट जुड़वां बच्चों का संकेत नहीं होता है। |
“दो के लिए खाने” का मतलब अपनी खुराक को दोगुना कर लेना | गर्भावस्था के दौरान रोज़ाना 300-500 अतिरिक्त कैलोरी की ज़रूरत होती है, लेकिन इसका मतलब दोगुना खाना नहीं है। संतुलित आहार ज़्यादा ज़रूरी है। |
प्रेगनेंसी के दौरान सीने में जलन का मतलब है कि बच्चे के पास बहुत बाल होंगे | सीने में जलन और बच्चे के बालों की मात्रा के बीच कोई वैज्ञानिक संबंध नहीं है। यह सिर्फ़ हार्मोनल बदलाव की वजह से होने वाले सामान्य बदलाव के लक्षण हैं। |
सातवें महीने में व्यायाम करना ख़तरनाक है | अगर कोई जटिलता नहीं है, तो हल्का और मध्यम व्यायाम अमूमन सुरक्षित होते हैं, जैसे कि चलना, स्विमिंग या प्रीनेटल योग। |
गर्भावस्था के दौरान हर तरह के सी-फ़ू़ड से बचना चाहिए | सभी सी-फ़ूड हानिकारक नहीं होते। ज़्यादा मरकरी वाले मछली से बचना चाहिए, लेकिन सैल्मन और झींगा जैसी बाक़ी चीज़ें सुरक्षित होते हैं और इनसे लाभकारी ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड मिलता है। |
सातवें महीने में सेक्स करना सुरक्षित नहीं है | अगर डॉक्टर ने मना नहीं किया है तो गर्भावस्था के दौरान सेक्स करना आमतौर पर सुरक्षित होता है। अगर आपके मन में कोई सवाल है, तो डॉक्टर से सलाह लें |
वज़न सिर्फ़ पेट का ही बढ़ता है | गर्भावस्था के दौरान शरीर के कई अंगों का विकास होता है, जैसे कि स्तन, कूल्हे, जांघ वगैरह। |
गर्भावस्था का सातवां महीना प्रेगनेंसी की तैयारी शुरू करने का समय होता है। इस दौरान मां को संतुलित आहार लेने, सक्रिय रहने और अपनी सेहत की निगरानी करने पर ध्यान देना चाहिए। पार्टनर को भावनात्मक और शारीरिक रूप से महिलाओं की मदद करनी चाहिए, इससे डिलवरी तक की यात्रा आसान हो जाती है।
प्रेगनेंसी के 7 महीने के बाद नियमित रूप से अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें और किसी भी असामान्य लक्षणों की सूचना उन्हें तुरंत दें।
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