क्यों लगते हैं 9 महीने गर्भ में बच्चा पलने में?

Dr. Swati Mishra
Dr. Swati Mishra

MBBS, MS (Obstetrics & Gynaecology)

20+ Years of experience
क्यों लगते हैं 9 महीने गर्भ में बच्चा पलने में?

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गर्भावस्था नौ महीने की एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें अनेक चरण शामिल हैं। गर्भावस्था हर महिला के जीवन के सभी खूबसूरत पलों में से एक होता है। ओवुलेशन के दौरान एक महिला के गर्भधारण करने की संभावना सबसे अधिक होती है।

इस दौरान, महिला की ओवरी से मैच्योर अंडे रिलीज होकर फैलोपियन ट्यूब में जाते हैं। यौन संबंध बनाने के बाद पुरुष स्पर्म अंडे को फर्टिलाइज करता है। फर्टिलाइजेशन के 5-6 दिनों के अंदर भ्रूण गर्भाशय में आकर गर्भाशय के अस्तर से चिपक जाता है जिसे प्रत्यारोपण यानी इम्प्लांटेशन कहते हैं।

प्रत्यारोपण के बाद महिला गर्भधारण कर लेती है। इसी समय से भ्रूण अपने विकसित होने यानी जन्म से पहले तक पलने का पूरा सफर तय करता है। हर गर्भवती महिला के मन में यह उत्सुकता अवश्य होती है कि उसके गर्भ में पल रहे शिशु का विकास कैसे हो रहा है।

अगर आपके मन में भी यह उत्सुकता है तो हम आपको नीचे गर्भावस्था की शुरुआत से लेकर जन्म लेने तक हर महीने गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर में क्या बदलाव आते हैं, वह कैसे विकास करता है आदि के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

 

गर्भ में शिशु का विकास (Baccha kese banta hai)

निषेचन के बाद महिला गर्भधारण कर लेती है और यहीं से गर्भावस्था की प्रक्रिया शुरू होती है। जैसे-जैसे गर्भावस्था की अवधि बढ़ती है वैसे-वैसे गर्भ में पल रहे शिशु का विकास होता है। गर्भावस्था के पहले महीने में फर्टिलाइजेशन, प्रत्यारोपण और भ्रूण का विकास शामिल है।

 

गर्भावस्था के पहले महीने में शिशु का विकास 

गर्भावस्था के पहले महीने में शिशु के चेहरे का विकास शुरू होता है। साथ ही, शिशु का निचला जबड़ा और गला भी बनना शुरू हो जाता है। इस दौरान रक्त की कोशिकाएं बनने लगती हैं। साथ ही, रक्त संचार यानी ब्लड सर्कुलेशन शुरू हो जाता है।

गर्भावस्था के पहले महीने में गर्भ में पल रहे शिशु का आकार एक चावल के दाने से भी छोटा होता है और उसका दिल एक मिनट में लगभग 65 बार धड़कता है।

गर्भावस्था के दूसरे महीने में शिशु का विकास

गर्भावस्था के दूसरे महीने में शिशु का शारीरिक रूप से विकास शुरू हो जाता है और वे काफी चीजों को महसूस करने लगता है। इस दौरान शिशु में हो रहे बदलाव को आप खुद में अनुभव कर सकती हैं। गर्भावस्था के दूसरे महीने में शिशु का आकार लगभग 1.5 सेंटीमीटर होता है।

गर्भावस्था के दूसरे महीने में शिशु में निम्न बदलाव होते हैं:-

  • हड्डियां बनना
  • वजन बढ़ना
  • कानों का निर्माण होना
  • आहार नालिका का विकास होना
  • हाथों, पैरों और उंगलियों का बनना
  • न्यूरल ट्यूब का विकास होना
  • सिर, आंख और नाक का विकास होना

 

गर्भावस्था के तीसरे महीने में शिशु का विकास

गर्भावस्था के दसूरे महीने की तुलना में इस दौरान गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में तेजी आ जाती है। गर्भावस्था के तीसरे महीने में गर्भ में पल रहे शिशु में अनेक बदलाव आते हैं जैसे कि:-

  • दिल धड़कना
  • आकार 2.5 इंच होना
  • वजन बढ़कर 20-30 ग्राम होना
  • उंगलियों के निशान बनना
  • जबान और जबड़े का विकास होना
  • आंखें, किडनी और जननांग का विकास होना
  • मांसपेशियों और हड्डियों का ढांचा बनना
  • पारदर्शी रूप से त्वचा विकसित होना जिसके आर-पर नसें दिखाई देती हैं

 

गर्भावस्था के चौथे महीने में शिशु का विकास

गर्भावस्था के चौथे महीने में शिशु गर्भ में घूमना और लात मारना शुरू कर देता है। इस महीने में बेबी बंप भी पहले की तुलना में बड़ा हो जाता है और साफ दिखाई पड़ता है। गर्भावस्था के चौथे महीने में गर्भ में पल रहे शिशु में निम्न बलदाव आते हैं:-

  • शिशु का आकार लगभग 5.1 इंच होना
  • वजन लगभग 150 ग्राम होना
  • यह महीना खत्म होते-होते शिशु लगभग 10 इंच लंबा हो जाता है
  • हड्डियों का ढांचा रबर की तरह लचीला होना
  • शरीर पर त्वचा की परत तैयार होना
  • नाखून बनना
  • त्वचा पर एक मोटी परत (वर्निक्स केसिओसा) बनना 
  • दोनों कान विकसित होने लगते हैं
  • शिशु मां की आवाज को सुन सकता है
  • सफेद ब्लड सेक्स बनने लगते हैं

 

गर्भावस्था के पांचवे महीने में शिशु का विकास

गर्भावस्था के पांचवे महीने में शिशु काफी हद तक विकसित हो जाता है। इस महीने में शिशु की लंबाई 6-10 इंच और उसका वजन लगभग 200-400 ग्राम हो जाता है। प्रेगनेंसी के पांचवे महीने में शिशु का स्वास्थ्य आपकी जीवनशैली और खान-पान पर निर्भर करता है।

यही कारण है कि डॉक्टर एक्टिव और स्वस्थ जीवनशैली और डाइट अपनाने का सुझाव देते हैं। गर्भावस्था के पांचवे महीने में शिशु में निम्न बदलाव आते हैं:-

  • उंगलियों का प्रिंट बनना
  • मसूड़ों के अंदर दांत बनना
  • चेहरा साफ दिखाई देना
  • शिशु आंखों को हल्का खोल सकता है
  • अंगड़ाई और जम्हाई ले सकता है
  • शिशु के निप्पल दिखने शुरू हो जाते हैं
  • शिशु गर्भ में लात मार सकता है और घूम सकता है
  • हड्डियों और मांसपेशियों का विकास शुरू हो जाता है
  • त्वचा पर रक्त वाहिकाएं दिखनी शुरू हो जाती है
  • लड़का होने पर अंडकोष और लड़की होने पर गर्भाशय बनना
  • दिमाग मजबूत और तेज होना

 

गर्भावस्था के छठे महीने में शिशु का विकास

छठे महीने में गर्भ में पल रहे शिशु में बहुत बदलाव आते हैं। इस महीने में शिशु हरकत करना शुरू कर देता है। शिशु बाहर की आवाजों को सुन सकता है और प्रतिक्रिया भी दे सकता है। इस दौरान शिशु के लगभग सभी अंग विकसित हो जाते हैं। गर्भावस्था के छठे महीने में शिशु में निम्न बदलाव आते हैं:-

  • अंगूठा चूसना
  • हिचकी लेना
  • त्वचा की पारदर्शिता खत्म होना
  • तेजी से दिमाग विकसित होना
  • वास्तविक बाल और नाखून उगना
  • सोने और जगने का एक पैटर्न बनना
  • शिशु के पेट में उसका पहला मल बनना
  • वजन 500-700 ग्राम और लंबाई 10-15 इंच होना 

गर्भावस्था के छठे महीने में शिशु खुद से सांस नहीं ले पता है। इसलिए इस दौरान उसका जन्म (प्रीमैच्योर जन्म) होने पर उसे इन्क्यूबेटर में रखा जाता है।

 

गर्भावस्था के सातवे महीने में शिशु का विकास

गर्भावस्था के सातवे महीने में शिशु लगभग 70% विकास कर चूका होता है। साथ ही, वह ध्वनि, संगीत या गंध के प्रति संवेदनशील हो जाता है। इस दौरान गर्भ में पल रहे शिशु में निम्न बदलाव आते हैं:-

  • पेट में लात मारना
  • अंगड़ाई और जम्हाई लेना
  • पलकें और भौं बनना
  • आंखें खोलना और बंद करना
  • आवाज सुनकर उसकी प्रतिक्रिया देना
  • लंबाई लगभग 12-15 इंच होती है
  • वजन लगभग 800-1000 ग्राम होता है 

 

गर्भावस्था के आठवे महीने में शिशु का विकास

गर्भावस्था के आठवे महीने में शिशु विकास की आखिरी स्टेज में होता है। इस दौरान शिशु जन्म लेने के लिए तैयार होता है। गर्भावस्था के आठवे महीने में गर्भ में पल रहे शिशु में निम्न बदलाव आते हैं:-

  • सिर के बाल उगना
  • आँखों को खोलना और बंद करना
  • फेफड़े विकसित की आखिरी स्टेज में होते हैं
  • पलकें और आंखें पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं
  • शिशु की लंबाई लगभग 12-14 इंच होती है
  • इस दौरान जननांग का विकास शुरू होता है

गर्भावस्था के आठवे महीने में शिशु का वजन बढ़ने के कारण गर्भ में कम जगह बचती है, इसलिए शिशु हिल-डुल नहीं पता है। साथ ही, इस महीने के अंत तक शिशु का वजन 1-1.5 किलोग्राम हो जाता है।

 

गर्भावस्था के नौवे महीने में शिशु का विकास 

यह गर्भावस्था का आखिरी स्टेज है जब शिशु जन्म लेने के लिए पूर्ण रूप से तैयार होता है। इस दौरान शरीर में हलचल बढ़ जाती है, इसमें शिशु का पलकें झपकना, आंखें बंद करना और सिर घुमाना आदि शामिल हैं।

 

गर्भ में बच्चे का पोषण कैसे होता है?

गर्भ में शिशु एक पानी की थैली में होता है जिसमें नौ महीने तक उसका विकास होता है। शिशु जिस पानी में होता है उसे एमनियोटिक फ्लूइड कहते हैं। शिशु के विकास के लिए सभी आवश्यक चीजें जैसे कि पोषक तत्व, रक्त और ऑक्सीजन आदि को र्गभनाल द्वारा शिशु तक पहुंचाया जाता है।

गर्भनाल वह नाल है जिससे शिशु और मां दोनों एक दूसरे जुड़े होते हैं। मां जो भी खाती-पीती है, बॉडी में रक्त संचार होता है तो वह सभी उस नाल से शिशु तक पहुंचाया जाता है जिससे शिशु का विकास होता है।  

 

स्वस्थ बच्चे के लिए किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए?

एक गर्भवती महिला को गर्भ में पल रहे शिशु को स्वस्थ रखने के लिए अपनी जीवनशैली और डाइट का खास ध्यान रखना होता है। स्वस्थ बच्चे के लिए आपको निम्न चीजों का ध्यान रखना चाहिए:-

  • अधिक मात्रा में पानी पीएं
  • शराब और सिगरेट का सेवन न करें
  • मछली का सेवन न करें
  • अंकुरित पदार्थों का सेवन न करें
  • कच्चा मांस न खाएं
  • हल्की-फुलकी स्ट्रेचिंग करें
  • कैफीन से दूर रहें
  • फाइबर से भरपूर चीजों का सेवन करें
  • हरी पत्तेदार सब्जियों को डाइट में शामिल करें
  • डेयरी उत्पाद और फलों को सेवन करें
  • सूखा मेवा, अंडा और सबुज अनाज खाएं
  • अपने मन मुताबिक दवाओं का सेवन न करें
  • सुबह-शाम कुछ समय के लिए पैदल टहलें
  • फिटनेस बॉल के साथ स्क्वॉट करें
  • थायरॉइड और गर्भावस्था की जांच कराते रहें
  • सेक्स रूटीन के बारे में डॉक्टर से बात करें
  • गर्भावस्था के नौवे महीने में अधिक सतर्क हो जाएं
  • जब तक शिशु का जन्म नहीं हो जाता अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें

गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह की परेशानी या असहजता अनुभव होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।

 

माता पिता बनने की तैयारी

अगर आप माता-पिता बनने की योजना बना रहे हैं तो सबसे पहले आप और आपके जीवनसाथी को मानसिक रूप से तैयार होना चाहिए। एक दूसरे से बात करें, क्योंकि यह ऐसा समय है जब पति-पत्नी को एक दूसरे की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। अगर आपके मन में किसी तरह का कोई प्रश्न है तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से परार्मश करें।

 

जल्दी प्रेगनेंट होने के लिए क्या करना चाहिए?

अपनी जीवनशैली, खान-पान और दूसरी आवश्यक पहलुओं पर ध्यान देकर एक महिला गर्भधारण करने यानी प्रेगनेंट होने की संभावना को बढ़ा सकती है। अगर आप जल्दी प्रेगनेंट होना चाहती हैं तो निम्न बिंदुओं का पालन कर सकती हैं:

  • अपने शरीर को स्वस्थ रखें
  • गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन बंद कर दें
  • पर्याप्त मात्रा में नींद लें
  • नियमित रूप से व्यायाम करें
  • प्रेगनेंसी और पितृत्व से संबंधित किताबें पढ़ें
  • तनाव और अवसाद से दूर रहें
  • भरपुर मात्रा में पानी पीएं
  • नियमित रूप से मेडिटेशन और योग करें
  • अपने सोने और जागने का समय निर्धारित करें
  • शराब, सिगरेट या दूसरी नशीली चीजों से दूर रहें
  • नियमित रूप से सेक्स करें (उत्तेजना के बजाय भावुकता के साथ सेक्स करें)
  • नियमित रूप से अपने पति या पार्टनर और अपना बॉडी चेकअप कराएं ताकि समय पर आंतरिक समस्याओं का पता लगाकर उनका उचित जांच और इलाज किया जा सके

इन सबके अलावा, प्रेगनेंसी से संबंधित मन में कोई भी प्रश्न उठने या फैसला लेने से पहले डॉक्टर से अवश्य परामर्श करें। स्वस्थ और संतुलित आहार का सेवन करें, क्योंकि इससे शरीर में आवश्यक विटामि, प्रोटीन और मिनरल्स की पूर्ति होती है। खान-पान या जीवनशैली से संबंधित अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करें।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

 

5 महीने का बच्चा पेट में कैसे रहता है?

गर्भावस्था के पांचवे महीने में गर्भ में पल रहा शिशु काफी विकसित हो चूका होता है। इस दौरान शिशु गर्भ में लात मार सकता है।

 

बच्चा पेट में कौन से महीने में घूमता है?

गर्भावस्था के चौथे या पांचवे महीने में गर्भवती महिला शिशु के मूवमेंट को अनुभव कर सकती है। इस दौरान, शिशु गर्भ में घूमना और लात मारना शुरू कर सकता है।

 

गर्भ में बच्चा कौन सी साइड रहता है?

गर्भावस्था के दौरान आमतौर पर शिशु दाहिनी तरफ होता है।

 

गर्भ में बच्चा किस समय उठा होता है?

अधिकतर समय शिशु गर्भ में सोता रहता है। गर्भावस्था के आठवे महीने में शिशु आवाज सुनने लगता है और यादें भी बनाने लगता है।

 

क्या गर्भावस्था में संबंध बनाना ठीक है?

गर्भावस्था के दौरान संबंध बनाना ठीक है। गर्भावस्था के दौरान संबंध बनाने की तब तक मनाही नहीं है जब तक कि गर्भवस्था में किसी तरह की कोई समस्या न हो।

 

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