Trust img
सोनोग्राफी/अल्ट्रासाउंड कीमत कितनी होती है?

सोनोग्राफी/अल्ट्रासाउंड कीमत कितनी होती है?

Dr. Sonal Chouksey
Dr. Sonal Chouksey

MBBS, DGO

17+ Years of experience

सोनोग्राफी क्या है?

सोनोग्राफी में हाई-फ्रीक्वेंसी साउंड वेव्स (अल्ट्रासाउंड) का इस्तेमाल करके शरीर के अंदरूनी अंगों की जाँच की जाती है। यह एक दर्द रहित जाँच प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल अनेक कारणों से किया जाता है जैसे कि गर्भावस्था में बेबी की स्थिति देखना, पेट, लिवर, किडनी, दिल और अन्य अंगों की जांच करना आदि। कुछ बिमारियों की जांच और इलाज करने में भी मदद करता है सोनोग्राफी।

सोनोग्राफी की कीमत

सोनोग्राफी की कीमत कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है, जैसे कि टेस्ट का प्रकार, क्लीनिक की लोकेशन और अन्य सुविधाएं। आमतौर पर, सोनग्राफी की कीमत ₹500 से ₹5000 तक हो सकती है।

विभिन्न प्रकार की सोनोग्राफी की औसत कीमत

  • एब्डोमिनल सोनोग्राफी की कीमत: ₹800 – ₹2500
  • पेल्विक सोनोग्राफी की कीमत: ₹700 – ₹2000
  • प्रेग्नेंसी (गर्भावस्था) सोनोग्राफी की कीमत: ₹800 – ₹3000
  • डॉप्लर सोनोग्राफी की कीमत: ₹1500 – ₹5000
  • टीवीएस (ट्रांसवेजिनल सोनोग्राफी) की कीमत: ₹1000 – ₹3000
  • थायरॉइड सोनोग्राफी की कीमत: ₹800 – ₹2500

शहर और क्लीनिक के आधार पर कीमत में अंतर

बड़े शहरों (दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर) में सोनोग्राफी की कीमत छोटे शहरों की तुलना में अधिक हो सकती है। प्राइवेट क्लीनिक और हाई-टेक डायग्नोस्टिक सेंटर में खर्च ज्यादा आता है, जबकि सरकारी अस्पतालों में यह टेस्ट कम खर्चों या फ्री में हो सकता है।

क्या बीमा सोनोग्राफी लागत को कवर करता है?

कई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी कुछ मेडिकल कंडीशंस के तहत सोनोग्राफी का खर्च कवर करती हैं, लेकिन रूटीन चेकअप के लिए आमतौर पर इसे कवर नहीं किया जाता है। कवर की शर्तें आपकी बीमा कंपनी और प्लान पर निर्भर करती हैं। इसलिए इंश्योरेंस क्लेम से पहले ही कंपनी से इसकी पुष्टि कर लें।

सोनोग्राफी कैसे की जाती है?

सोनोग्राफी एक सुरक्षित और दर्द रहित प्रक्रिया है, जो शरीर के आंतरिक अंगों की जांच के लिए की जाती है। इसमें उच्च-फ्रीक्वेंसी ध्वनि तरंगों का उपयोग करके शरीर के अंदर की तस्वीरें प्राप्त की जाती हैं।

सोनोग्राफी की प्रक्रिया:

  1. तैयारी: कुछ मामलों में आपको खाली पेट रहने या ज्यादा पानी पीने की सलाह दी जाती है। जांच शुरू होने से पहले आपको अस्पताल का गाउन पहनने के लिए कहा जा सकता है।
  2. जांच प्रक्रिया: आपको जांच के अनुसार पीठ, पेट या करवट लेकर लेटाया जाता है। स्कैन किए जाने वाले हिस्से पर एक खास जेल लगाया जाता है, जिससे अल्ट्रासाउंड तरंगें बेहतर तरीके से शरीर में प्रवेश कर सकें। उसके बाद, टेक्नीशियन एक छोटे उपकरण (ट्रांसड्यूसर) को स्किन पर घुमाकर अंदरूनी अंगों की छवि/इमेज को स्क्रीन पर देखते हैं।

इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 15-30 मिनट लगता है। जांच के बाद जेल को टिशू पेपर से साफ कर दिया जाता है और आप कुछ ही मिनटों के भीतर रिपोर्ट हासिल करके घर जा सकते हैं।

सोनोग्राफी किन स्थितियों में की जाती है?

  • गर्भावस्था की निगरानी करने के लिए
  • पेट, किडनी, लिवर, गॉलब्लैडर और अन्य अंगों की जांच के लिए
  • थायरॉइड और हृदय संबंधी समस्यायों का पता लगाने के लिए 
  • शरीर में गांठ या सूजन की जांच करने के लिए

यह एक सुरक्षित प्रक्रिया है, क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार की रेडिएशन (किरणें) का उपयोग नहीं किया जाता है।

सोनोग्राफी के प्रकार और उनके उपयोग

सोनोग्राफी को अल्ट्रासाउंड के नाम से भी जानते हैं। इसके कई प्रकार होते हैं, जो जांच किए जाने वाले अंगों और आश्यकता के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं।

  1. सामान्य (ट्रांसएब्डोमिनल) अल्ट्रासाउंड: प्रेगनेंसी, पेट, लिवर, किडनी, गॉलब्लैडर, पैंक्रियाज आदि की जांच के लिए इसे पेट के ऊपर से किया जाता है।
  2. ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड: महिलाओं के बच्चेदानी, ओवरी और अन्य पेल्विक अंगों की अधिक स्पष्ट जांच की जाती है। इसमें ट्रांसड्यूसर को योनि में डालकर स्कैन किया जाता है।
  3. ट्रांसरेक्टल अल्ट्रासाउंड: इसमें ट्रांसड्यूसर को रेक्टम में डालकर प्रोस्टेट ग्लैंड और रेक्टम की जांच की जाती है।
  4. डॉप्लर अल्ट्रासाउंड: इससे शरीर में रक्त प्रवाह और रक्त धमनियों की जांच करते हैं। यह ब्लड क्लॉट, वैरिकोज वेन्स, हृदय और गर्भावस्था में प्लेसेंटा की जांच के लिए उपयोगी है।
  5. थ्री-डी (3D) और फोर-डी (4D) अल्ट्रासाउंड: शरीर के अंगों या भ्रूण की 3D इमेज देखने के लिए 3D सोनोग्राफी। 4D सोनोग्राफी से 3D इमेज को रीयल-टाइम मूवमेंट के साथ देखते हैं, जो भ्रूण की गतिविधियों को देखने के लिए प्रेगनेंसी में उपयोगी है।
  6. ईकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography): यह हृदय की संरचना और कार्यप्रणाली की जांच के लिए किया जाता है। यह टेस्ट दिल की धड़कन, वाल्व और रक्त प्रवाह का अध्ययन करने के लिए उपयोगी है।
  7. एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (EUS): इस टेस्ट को पेट, फेफड़े और आंतों की गहराई से जांच के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एंडोस्कोप के जरिए ट्रांसड्यूसर को शरीर के अंदर डाला जाता है।
  8. मस्कुलोस्केलेटल अल्ट्रासाउंड (Musculoskeletal Ultrasound): इससे हड्डियों, मांसपेशियों, जोड़ों और टिशू की जांच होती है। यह जांच गठिया, लिगामेंट इंजरी और मांसपेशियों की समस्याओं के लिए उपयोगी है।

सोनोग्राफी करवाने के फायदे

सोनोग्राफी (अल्ट्रासाउंड) एक सुरक्षित, दर्दरहित और प्रभावी जांच प्रक्रिया है। इससे शरीर के आंतरिक अंगों की विस्तृत जांच की जाती है। इस जांच के कई फायदे हैं:

  • लिवर, किडनी, हृदय, थायरॉइड, जोड़ों और अन्य अंगों की जांच और बीमारियों की शुरुआती पहचान करना।
  • शिशु के विकास, प्लेसेंटा और एमनियोटिक फ्लूइड की स्थिति जानने में सहायता और गर्भावस्था में निगरानी करना।
  • डॉप्लर अल्ट्रासाउंड से ब्लड सर्कुलेशन और हृदय रोगों की पहचान करना।
  • जोड़ों और मांसपेशियों की समस्याओं की पहचान और गठिया, मोच एवं लिगामेंट इंजरी की जांच करना।
  • तुरंत और सटीक रिपोर्ट प्रदान करना ताकि उपचार जल्द शुरू हो सके।
  • एमआरआई व सीटी स्कैन से सस्ता और छोटे शहरों में भी उपलब्ध।

सोनोग्राफी के लिए आवश्यक सावधानियां

सोनोग्राफी करवाने से पहले और दौरान कुछ महत्वपूर्ण सावधानियों का पालन करना जरूरी होता है, ताकि जांच के सही और स्पष्ट परिणाम मिल सकें।

  • किसी भी प्रकार की सोनोग्राफी कराने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
  • कुछ सोनोग्राफी खाली पेट (फास्टिंग) में कराई जाती हैं, जैसे कि एब्डॉमिनल अल्ट्रासाउंड।
  • गर्भावस्था में सोनोग्राफी आमतौर पर 6-9 सप्ताह, 12-14 सप्ताह, 18-22 सप्ताह और 32-36 सप्ताह के बीच कराई जाती है।
  • प्रेग्नेंसी और पेल्विक अल्ट्रासाउंड में ब्लैडर भरा होना चाहिए, ताकि गर्भाशय और अंडाशय स्पष्ट रूप से दिखाई दें। इसलिए सोनोग्राफी से एक घंटे पहले 3-4 गिलास पानी पिएं और पेशाब न करें।
  • जांच के दौरान पेट, कमर या अन्य भागों को स्कैन किया जाता है, इसलिए ढीले और आरामदायक कपड़े पहनें। कुछ मामलों में गाउन पहनने के लिए कहा जा सकता है।
  • यदि आप कोई दवा ले रहे हैं, तो डॉक्टर को जरूर बताएं, खासकर शुगर, हाई ब्लड प्रेशर, थायरॉइड, या किसी अन्य पुरानी बीमारी से जुड़ी दवाएं।
  • सोनोग्राफी वाले दिन त्वचा पर कोई भी लोशन, तेल, क्रीम या पाउडर न लगाएं, क्योंकि इससे स्कैन की स्पष्टता पर असर पड़ सकता है।
  • अगर पहले भी कोई सोनोग्राफी हुई है, तो उसकी रिपोर्ट और अन्य मेडिकल रिकॉर्ड साथ लेकर जाएं, ताकि डॉक्टर तुलना कर सकें।

सोनोग्राफी एक सुरक्षित और दर्दरहित प्रक्रिया है, इसलिए घबराने की जरूरत नहीं होती। अगर कोई संदेह या चिंता हो, तो डॉक्टर से इस बारे में खुलकर बात करें।

Our Fertility Specialists

Dr. Sonal Chouksey

Bhopal, Madhya Pradesh

Dr. Sonal Chouksey

MBBS, DGO

17+
Years of experience: 
  1200+
  Number of cycles: 
View Profile

Related Blogs

To know more

Birla Fertility & IVF aims at transforming the future of fertility globally, through outstanding clinical outcomes, research, innovation and compassionate care.

Need Help?

Talk to our fertility experts

Had an IVF Failure?

Talk to our fertility experts