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Pregnancy Diet Chart in Hindi – प्रेगनेंसी डाइट: जानें क्या खाएं और क्या नहीं?

Pregnancy Diet Chart in Hindi – प्रेगनेंसी डाइट: जानें क्या खाएं और क्या नहीं?

Dr. Prachi Benara
Dr. Prachi Benara

MBBS (Gold Medalist), MS (OBG), DNB (OBG), PG Diploma in Reproductive and Sexual health

16 Years of experience

प्रेगनेंसी में शरीर को सामान्य दिनों के मुक़ाबले ज़्यादा पोषण की ज़रूरत होती है। उचित पोषण न सिर्फ़ मां, बल्कि पेट में विकसित हो रहे बच्चे के लिए भी बेहद ज़रूरी है। संतुलित आहार से यह सुनिश्चित होता है कि मां के शरीर में उन ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी न हो, जो बढ़ते बच्चे के स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद है। इस लेख में हम प्रेगनेंसी के दौरान आहार की अहमियत पर बात करने के साथ-साथ यह जानेंगे कि इस दौरान क्या खाएं और क्या न खाएं। साथ ही, प्रेगनेंसी के हर चरण के लिए डाइट प्लान पर भी बात करेंगे।

प्रेगनेंसी में सही आहार का महत्व

प्रेगनेंसी में मां और शिशु के स्वास्थ्य के लिए पोषण का महत्व काफ़ी ज़्यादा है। इस समय पोषक तत्वों की ज़रूरत काफ़ी बढ़ जाती है। इसलिए, ऐसा आहार लेना ज़रूरी है, जिससे पर्याप्त विटामिन, खनिज और ऊर्जा मिल सके।

सही आहार, बच्चे के स्वस्थ विकास और वृद्धि को सुनिश्चित करता है। फ़ोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व इस दौरान ख़ास तौर पर महत्वपूर्ण हैं। फ़ोलिक एसिड, न्यूरल ट्यूब डिफ़ेक्ट के ख़तरे को कम करता है। आयरन से प्रेगनेंसी के दौरान ख़ून की ज़रूरी आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। कैल्शियम से बच्चे की हड्डियां और दांत मज़बूत होते हैं और प्रोटीन से शरीर के बाक़ी अंग और टिशू के विकास में मदद मिलती है।

संतुलित आहार से प्रेगनेंसी से जुड़ी जटिलताओं के ख़तरे को भी कम किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, आयरन युक्त आहार के सेवन से एनीमिया से बचा जा सकता है। वरना, एनीमिया की वजह से महिलाओं में थकान और डिलीवरी के दौरान कई जटिलताएं पनप सकती हैं। इसी तरह, स्वस्थ आहार के सेवन से उचित वजन बनाए रखने में मदद मिलती है, जिससे जेस्टेशनल डाइबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं पर क़ाबू पाने में क़ामयाबी मिलती है।

इसके अलावा, पोषक आहार से महिलाओं का इम्यून सिस्टम भी मज़बूत होता है, जिससे वह उन इन्फ़ेक्शन से ख़ुद को बचा पाती हैं, जो न सिर्फ़ उनके, बल्कि बच्चे को भी प्रभावित कर सकते हैं। फलों और सब्ज़ियों जैसे एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ इम्यूनिटी बढ़ाने और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मददगार हैं।

प्रेगनेंसी में कैलोरी और पोषण की बढ़ती जरूरतें, सिर्फ़ संतुलित आहार से ही पूरी हो सकती हैं। वरना, पोषक तत्वों की कमी की वजह से कई गंभीर क़िस्म की जटिलताएं भी देखने को मिल सकती हैं। जैसे, बच्चे का कम वजन, प्रीमैच्योर जन्म या बच्चे के विकास में देरी।

प्रेगनेंसी के दौरान ज़्यादा कैलोरी और पोषण की ज़रूरतें

प्रेगनेंसी के दौरान ऊर्जा और पोषण की ज़रूरतें बढ़ जाती है। महिला का शरीर कई बदलावों से गुज़रता है, जैसे कि ख़ून की मात्रा में बढ़ोतरी और नए टिशू का विकास। इनके लिए अतिरिक्त पोषक तत्व बेहद ज़रूरी है।

  • कैलोरी की ज़रूरत: पहली तिमाही में महिलाओं को अतिरिक्त कैलोरी की ज़रूरत नहीं होती। हालांकि, दूसरी और तीसरी तिमाही में शरीर को रोज़ाना लगभग 300 अतिरिक्त कैलोरी की ज़रूरत होती है।
  • पोषण की ज़रूरत: प्रोटीन, फ़ोलिक एसिड, कैल्शियम, आयरन और ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड जैसे मुख्य पोषक तत्वों का सेवन बढ़ाना चाहिए। ये पोषक तत्व बच्चे के विकास और मां के स्वास्थ्य के लिए बेहद आवश्यक हैं।

प्रेगनेंसी डाइट चार्ट (Pregnancy Diet Chart in Hindi): दिन भर का आहार प्लान

प्रेगनेंसी में अलग-अलग तरह के भोजन को अपनी डाइट में शामिल किया जाना चाहिए। इसमें न सिर्फ़ पोषक तत्वों का ख़याल रखना चाहिए, बल्कि यह भी देखना चाहिए कि अपने स्वाद के हिसाब से वह ज़रूरी पोषक तत्व आप किस तरह के भोजन से पा सकती हैं। इसलिए, माना जाता है कि इस दौरान अपने डाइट चार्ज में अलग-अलग तरह के भोजन का समावेश करना ज़रूरी है। नीचे प्रेगनेंट महिलाओं के लिए एक गर्भवती आहार चार्ट दिया गया है, जिसे आप चाहें, तो अपना सकती हैं:

प्रेगनेंसी में सुबह नाश्ते में क्या खाना चाहिए?

नाश्ता हमारे आहार का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। दिन की शुरुआत का यह पहला आहार होता है, लिहाज़ा सही मात्रा में पोषक तत्वों के साथ अपना दिन शुरू करें। आइए जानते हैं, एक संतुलित नाश्ता किस तरह का होना चाहिए:

संतुलित और तुरंत तैयार होने वाले नाश्ते के विकल्प:

  • अवाकाडो और अंडा भुर्जी के साथ साबुत अनाज के टोस्ट
  • चिया सीड, बेरी और मेवे के साथ ओटमील
  • गेहूं के पैनकेक के साथ बादाम बटर और केला

लो-फ़ैट और हाई-प्रोटीन वाले नाश्ते के विकल्प:

  • मिक्स्ड फ़्रूट चार्ट और शहद के साथ दही
  • कटी हुई हरी सब्ज़ियों के साथ कोटेज चीज़ और अनाज के क्रैकर
  • पालक, केला और बादाम दूध के साथ स्मूदी

प्रेगनेंसी में दोपहर के भोजन में क्या खाना चाहिए?

दोपहर के भोजन में प्रोटीन, फ़ाइबर और सही मात्रा में फ़ैट ज़रूर शामिल करें। इसके लिए आप इन विकल्पों को आज़मा सकती हैं:

  • ग्रिल्ड चिकन या टोफ़ू सलाद, हरी पत्तेदार साग-सब्ज़ियां, जैतून का तेल और अवाकाडो
  • ब्राउन राइस, दाल, सब्ज़ियां और दही
  • गेहूं की सैंडविच, लीन मीट, पनीर और सब्ज़ियां

शाम के नाश्ते और रात के खाने के लिए टिप्स

रात में संतुलित भोजना करना चाहिए, ताकि रात भर आपके शरीर में ऊर्जा का स्तर बरकरार रह सके।

शाम के नाश्ते के विकल्प:

  • एक मुट्ठी बादाम या अखरोट
  • गाजर और खीरे
  • एक उबला हुआ अंडा या एक फल के साथ कुछ मेवे

रात के खाने के विकल्प:

  • ग्रिल्ड सैल्मन, क्विनोआ और स्टीम्ड ब्रोकोली
  • सब्ज़ियों और टोफ़ू के साथ फ़्राइ की गई ब्राउन राइस
  • चने, पालक और दही सॉस के साथ रोल

प्रेगनेंसी के दौरान क्या खाना चाहिए? – Pregnancy me kya khana chahiye

अगर आप अपने स्वाद के मुताबिक़ डाइट चार्ट बनाना चाहती हैं, तो ध्यान रखें कि आपकी डाइट में ये चीज़ें शामिल हों:

फ़ोलिक एसिड से भरपूर आहार

फ़ोलिक एसिड, प्रेगनेंसी के दौरान सेवन किए जाने वाले बेहद अहम पोषक तत्वों में एक है। यह बच्चे में न्यूरल ट्यूब में मौजूद दोषों को रोकने में मदद करता है, जिनका असर मस्तिष्क और रीढ़ के ऊपर पड़ सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को रोज़ाना 600 माइक्रोग्राम फ़ोलिक एसिड का सेवन करना चाहिए।

फोलिक एसिड के स्रोत:

  • हरी पत्तेदार साग-सब्ज़ियां (पालक, पत्ता गोभी वगैरह)
  • फ़ोर्टिफ़ाइड अनाज, सिट्रस फल (संतरे, अंगूर वगैरह)
  • दाल, बीन्स और मटर

आयरन और कैल्शियम से भरपूर आहार

आयरन हमारे शरीर में रेड ब्लड सेल बनाने का प्रमुख स्रोत है। आयरन के सेवन से एनीमिया का ख़तरा दूर होता है, वहीं कैल्शियम से बच्चे की हड्डियं और दांतों के विकास में मदद मिलती है।

आयरन के स्रोत:

  • लीन मीट, चिकन, टर्की
  • दाल, बीन्स और टोफ़ू
  • गहरे रंग वाली पत्तेदार सब्ज़ियां, जैसे कि पालक
  • फ़ोर्टिफ़ाइड अनाज और ओटमील

कैल्शियम के स्रोत:

  • डेयरी उत्पाद (दूध, दही, पनीर)
  • फ़ोर्टिफ़ाइड प्लांट-बेस्ड मिल्क (सोया, बादाम)
  • टोफ़ू, ब्रोकोली और पत्ता गोभी

विटामिन डी और ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड के लिए विकल्प

विटामिन डी कैल्शियम को अवशोषित (एब्जॉर्व) करने में मदद करता है, जबकि ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड बच्चे के मस्तिष्क और आंखों के विकास में मदद पहुंचाता है।

विटामिन डी के स्रोत:

  • फ़ोर्टिफ़ाइड दूध और जूस
  • फ़ैटी मछलियां, जैसे सैल्मन और मांगुड़
  • अंडे

ओमेगा-3 फ़ीटी एसिड के स्रोत:

  • फ़ैटी मछलियां (सैल्मन, सार्डिन, मांगुड़)
  • चिया सीड, फ़्लैक्स सीड और अखरोट
  • फ़ोर्टिफ़ाइड अंडे

प्रेगनेंसी में क्या नहीं खाना चाहिए? – Pregnancy me kya nahi khana chahiye

प्रेगनेंसी के दौरान खाना जितना ज़रूरी है, उतना ही ज़रूरी इस बात को समझना है कि इस अवधि में किन चीज़ों को खाने से परहेज बरतना चाहिए। आइए जानते हैं कि प्रेगनेंसी में कौन सी चीज़ें आपके लिए हानिकारक हो सकती हैं:

कम पका हुआ या कच्चा भोजन

प्रेगनेंट महिलाओं को कच्चा या अधपका मांस, मछली और अंडे खाने से बचना चाहिए। इस तरह के कच्चे या अधपके आहार से सैल्मोनेला, लिस्टेरिया और टोक्सोप्लाज़्मा जैसी बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियां फैल सकती हैं। ये बैक्टीरिया शरीर में हल्के से लेकर गंभीर स्तर तक के नुक़सान पहुंचा सकती हैं। जैसे, गर्भपात (मिसकैरेज) या प्रीमैच्योर बर्थ जैसी गंभीर जटिलताओं की ये वजह बन सकती हैं।

नमक, चीनी और फ़ैट का सेवन ज़्यादा न करें

बहुत ज़्यादा नमक, चीनी और अनहेल्दी फ़ैट के सेवन से बचे। इनसे जेस्टेशनल डाइबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर और वज़न बढ़ने का ख़तरा रहता है।

कैफ़ीन और शराब से बचें

कैफ़ीन महिलाओं की प्लेसेंटा में पहुंच सकता है और इसका असर बच्चे के ऊपर पड़ सकता इस वजह से बच्चे के वज़न पर असर पड़ सकता है। साथ ही, और भी कई तरह की जटिलताएं देखने को मिल सकती हैं। प्रेगनेंसी के दौरान शराब का सेवन, फ़ैटल अल्कोहल स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एफ़एएसडी) का कारण बन सकता है, जो बच्चे के विकास में स्थायी तौर पर असर डाल सकता है। साथ ही, उसमें शारीरिक समस्याएं भी पैदा कर सकता है।

इनके अलावा, प्रेगनेंसी के दौरान, प्रोसेस्ड और जंक फ़ूड के सेवन से भी परहेज बरतना चाहिए। जितना हो सके, इनसे दूर रहिए।

प्रेगनेंसी के हर फ़ेज़ के हिसाब से डाइट चार्ट

प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में हो रहे बदलावों के हिसाब से पोषण की ज़रूरतें भी बदलती रहती हैं। आइए जानते हैं कि किस फ़ेज़ में किस तरह का आहार लेन की सलाह दी जाती है:

पहली तिमाही के लिए आहार सुझाव

प्रेगनेंसी के पहली तिमाही में बच्चे के अंगों और प्रणालियों का निर्माण शुरू होता है। इसलिए, फ़ोलिक एसिड और आयरन पर ध्यान देना बेहद ज़रूरी है। इस फ़ेज़ में मितली और मॉर्निंग सिकनेस से बचना भी महिलाओं की प्राथमिकताओं में होता है। इसलिए, ऐसा खाना खाने से बचें जिनसे आपको मितली ज़्यादा आती हो।

खाने में ये चीज़ें शामिल करें: साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और ढेर सारे फल-सब्ज़ियां

नोट: मितली से बचने के लिए कम मात्रा में ज़्यादा बार भोजन करें

दूसरी तिमाही में प्रोटीन और कैल्शियम बढ़ाना

प्रेगनेंसी के दूसरी तिमाही में, बच्चे की हड्डियां, दांत और बाक़ी अंग विकसित होते हैं। इसलिए, प्रोटीन का सेवन बढ़ाना और हड्डियों के निर्माण के लिए कैल्शियम पर ध्यान केंद्रित करना ज़रूरी है।

खाने में ये चीज़ें शामिल करें:

  • प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे कि अंडे, लीन मीट और दाल
  • कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे कि डेयरी प्रोडक्ट, टोफ़ू और फ़ोर्टिफ़ाइड प्लांट मिल्क

तीसरी तिमाही में ऊर्जा और पोषण का संतुलन

प्रेगनेंसी के तीसरी तिमाही में बच्चे का वज़न तेज़ी से बढ़ता है और इसलिए महिलाओं को ज़्यादा ऊर्जा की ज़रूरत होती है। यह ऐसा समय है जब एनर्जी लेवल को बरकरार रखने के लिए, हेल्दी फ़ैट और कॉम्प्लैक्स कार्बोहाइड्रेट ज़रूरी हो जाते हैं।

खाने में ये चीज़ें शामिल करें:

  • हेल्दी फ़ैट, जैसे कि अवाकाडो, मेवे और तरह-तरह के बीज
  • कॉम्पैलक्स कार्बोहाइड्रेट, जैसे कि ब्राउन राइस, ओट्स और गेहूं की रोटी

प्रेगनेंसी में आम समस्याएं और उनके समाधान के लिए आहार

प्रेगनेंट महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि मॉर्निंग सिकनेस, कब्ज और थकान। नीचे बताया गया है कि भोजन के ज़रिए इन समस्याओं को कैसे मैनेज किया जा सकता है:

मॉर्निंग सिकनेस से बचने के लिए क्या खाएं

अदरक और क्रैकर का सेवन करें। कम मात्रा में ज़्यादा बार खाएं। इससे आपको पहली तिमाही में मितली और उल्टी को कम करने में मदद मिलेगी।

कब्ज, गैस और अपच को दूर करने वाले आहार

फ़ाइबर से भरपूर आहार लें। जैसे, फल, सब्जियां और साबुत अनाज। इससे कब्ज की समस्या दूर होती है। पर्याप्त पानी पिएं और एक बार में ज़्यादा खाना न खाएं।

थकावट और कमज़ोरी के लिए ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थ

आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ (पालक, लीन मीट) और विटामिन सी (संतरे, टमाटर) थकान से लड़ने और आयरन को अवशोषित (एब्जॉर्व) करने में मदद कर सकते हैं।

प्रेगनेंसी डाइट से जुड़े मिथ्स और फ़ैक्ट्स

मिथ्स फ़ैक्ट्स
प्रेगनेंसी में दो लोगों के बराबर खाना चाहिए नहीं, आपको दो लोगों के बराबर खाने की ज़रूरत नहीं है। हां, सामान्य से ज़्यादा खाना ज़रूर खाना चाहिए
भूख लगने पर जो मिले, खा लेना चाहिए नहीं, हमेशा हेल्दी विकल्पों की तलाश करें। किचन में अपनी ज़रूरत की चीज़ें पहले से तैयार रखें
प्रेगनेंसी में डेयरी प्रोडक्ट नहीं खाना चाहिए डेयरी प्रोडक्ट कैल्शियम का महत्वपूर्ण ज़रिया है और इसे आहार में ज़रूर शामिल करना चाहिए
ज़्यादा मसालेदार खाना खाने से बच्चे को नुक़सान पहुंच सकता है इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है

 

निष्कर्ष

प्रेगनेंसी के दौरान सही और संतुलित आहार लेना न सिर्फ़ मां, बल्कि बच्चे की सेहत के लिए भी ज़रूरी है। इसलिए, खाने को सही से प्लान करें और अपनी ज़रूरतों के हिसाब से एक चार्ट बना लें। इसमे पोषण और स्वाद दोनों का ध्यान रखें। साथ ही, इस बात का भी ख़याल रखें कि इस दौरान आपको किन चीज़ों से परहेज करना है। यह आपके साथ-साथ बच्चे के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

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