
Pregnancy me Kamar Dard ke Karna – प्रेगनेंसी में कमर दर्द का कारण और घरेलू उपचार

प्रेगनेंसी में कमर दर्द कब शुरू होता है?
प्रेगनेंसी में कमर दर्द की शिकायत अक्सर पहली तिमाही (शुरुआती 3 महीने) के बाद शुरू हो सकती है। कई महिलाओं को यह दर्द दूसरी या तीसरे तिमाही में अधिक महसूस होता है। यह दर्द कई कारणों से होता है जैसे कि बच्चे का आकार बढ़ना, हार्मोनल बदलाव होना और वजन बढ़ना आदि। अगर प्रेगनेंसी में पेट के निचले हिस्से में दर्द ज्यादा हो या लगातार बना रहे तो डॉक्टर से सलाह लें।
प्रेगनेंसी के शुरुआत में कमर दर्द कब होता है?
प्रेगनेंसी की शुरुआत में कमर दर्द आम है और यह कई कारणों से हो सकता है।
- यह दर्द पहली तिमाही में कभी भी शुरू हो सकता है।
- ज्यादातर महिलाओं को 4-6 हफ्ते के बीच महसूस होता है।
- यह दर्द हार्मोनल बदलाव, गर्भाशय के बढ़ने और लिगामेंट्स में खिंचाव के कारण होता है।
- कुछ महिलाओं को हल्का दर्द महसूस होता है तो कुछ को ज्यादा परेशानी हो सकती है।
प्रेगनेंसी की शुरुआत में कमर दर्द के साथ-साथ प्रेगनेंसी में पेट दर्द भी 4-6 हफ्ते में हो सकता है। हल्का दर्द होना सामान्य है, लेकिन अगर दर्द बहुत ज्यादा हो, लगातार बना रहे या तेज हो जाए तो तुरंत डॉक्टर से सलाह परामर्श करना चाहिए।
प्रेगनेंसी के पहले महीने में कमर दर्द क्यों होता है?
प्रेगनेंसी के पहले महीने में कमर दर्द आम है और यह कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि:
- हार्मोनल बदलाव: प्रोजेस्टेरोन और रिलैक्सिन हार्मोन मांसपेशियों और लिगामेंट्स को ढीला करते हैं।
- बच्चेदानी का बढ़ना: यह नसों और पीठ की मांसपेशियों पर दबाव डालता है।
साथ ही, शरीर में ब्लड फ्लो बढ़ने से हल्का दर्द और खिंचाव महसूस हो सकता है।
प्रेगनेंसी में कमर दर्द क्यों होता है? – Pregnancy me kamar dard kyu hota hai
प्रेगनेंसी के दौरान कमर दर्द आम समस्या है। इसके कई कारण हो सकते हैं। इसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हैं:
- हार्मोनल बदलाव: प्रोजेस्टेरोन और रिलैक्सिन हार्मोन मांसपेशियों और लिगामेंट्स को ढीला कर देती हैं, जिससे दर्द हो सकता है।
- बच्चेदानी का बढ़ना: जैसे-जैसे बच्चेदानी का आकार बढ़ता है, यह रीढ़ की हड्डी और पीठ की मांसपेशियों पर दबाव डालता है।
- वजन बढ़ना: शरीर का बढ़ता वजन कमर और पीठ पर तनाव डालता है, जिससे कमर में दर्द होता है।
- मांसपेशियों में खिंचाव: पेट और पीठ की मांसपेशियां तनाव में आने से कमर में दर्द हो सकता है।
- गलत पोस्चर: पेट के भार को संभालने के लिए खड़े होने या बैठने का तरीका बदलने पर भी कमर में दर्द हो सकता है।
इन सबके अलावा, प्रेगनेंसी के दौरान मानसिक तनाव होना आम बात है, जो मांसपेशियों में जकड़न और दर्द पैदा कर सकता है। अगर आप पहली बार माँ बनने वाली हैं तो आपको गर्भ संस्कार पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए। यह पुस्तक आपको प्रेगनेंसी के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है जिससे आपके प्रेगनेंसी से डिलीवरी तक का सफर बेहद आसान और सुरक्षित हो जाता है।
प्रेगनेंसी में कमर दर्द का इलाज
प्रेगनेंसी के दौरान कमर दर्द को कम करने के लिए कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे कि:
- सही पोस्चर अपनाएं: सीधे बैठें और झुक कर न चलें। बैठते समय कमर को सहारा दें।
- हल्की एक्सरसाइज करें: डॉक्टर की सलाह से योग, स्ट्रेचिंग या हल्की वॉक करें।
- गर्म या ठंडी सिकाई करें: हल्की गर्म सिकाई से मांसपेशियों को आराम मिलता है।
- सपोर्टिव फुटवियर पहनें: हाई हील्स से बचें और आरामदायक जूते और चप्पल पहनें।
- सही तरीके से सोएं: बाईं करवट लेकर सोएं और पैरों के बीच तकिया रखें। डॉक्टर की मदद से यह समझें कि प्रेगनेंसी में कैसे सोना चाहिए।
- मालिश करवाएं: हल्के हाथों से की गई मसाज आराम दिला सकती है।
- तनाव कम करें: रिलैक्सेशन टेक्निक अपनाएं और पर्याप्त आराम करें। तनाव को मैनेज करें।
अपने साथ-साथ अपने बच्चे का ध्यान रखें और प्रॉपर प्रेगनेंसी डाइट लें। प्रेगनेंसी में पोषक तत्वों से भरपूर चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें।
प्रेगनेंसी में कमर दर्द के घरेलू उपाय – Pregnancy me Kamar Dard ke Gharelu Upay
अगर प्रेगनेंसी में कमर दर्द हो रहा है तो डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ये आसान घरेलू उपाय अपनाएं:
- गर्म सिकाई करें
- हल्की स्ट्रेचिंग करें
- नारियल या सरसों के तेल से मालिश करें
- आरामदायक गद्दे और तकिया इस्तेमाल करें
- कैल्शियम और मैग्नीशियम से भरपूर डाइट लें
- अधिक पानी पिएं
- अच्छी नींद लें, बाईं करवट सोएं और पैरों के बीच तकिया रखें।
अगर ये घरेलू उपाय राहत न दें या दर्द बढ़ता जाए तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें और अपनी सेहत का ध्यान रखें।
प्रेगनेंसी में कमर दर्द से बचने के तरीके
कमर दर्द को रोकने के लिए कुछ आसान उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- सीधे बैठें और झुक कर न चलें।
- योग, स्ट्रेचिंग और वॉक से मांसपेशियां मजबूत रहती हैं।
- आरामदायक जूते पहनें, हाई हील्स से बचें।
- बाईं करवट लेकर सोएं और पैरों के बीच तकिया रखें।
- अचानक झुकने या भारी चीजें उठाने से बचें।
- कमर को सहारा देने वाले गद्दे पर सोएं।
- रिलैक्सेशन टेक्निक अपनाएं और भरपूर आराम करें।
प्रेगनेंसी में कमर दर्द कब गंभीर हो सकता है?
अगर कमर दर्द सामान्य से ज्यादा हो या कुछ खास लक्षणों के साथ हो तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। निम्न स्थितियों में प्रेगनेंसी में कमर दर्द गंभीर हो सकता है:
- दर्द बहुत तेज या लगातार हो और आराम करने पर भी कम न हो।
- पेट में ऐंठन के साथ कमर दर्द महसूस हो।
- दर्द के साथ बुखार, ठंड लगना या पेशाब में जलन हो।
- पैरों या कमर में सुन्नपन या झनझनाहट महसूस हो।
- योनि से असामान्य डिस्चार्ज, खून आना या पानी गिरना शुरू हो जाए।
- चलने-फिरने में दिक्कत हो या दर्द को सहन करना मुश्किल लगे।
प्रेगनेंसी में कमर दर्द एक आम समस्या है, जो हार्मोनल बदलाव, वजन बढ़ने और शरीर में हो रहे बदलावों के कारण होती है। इसे कम करने के लिए सही पोस्चर अपनाना, हल्की एक्सरसाइज करना, गर्म सिकाई करना, बैलेंस्ड डाइट लेना और पर्याप्त आराम जरूरी है। साथ ही, अगर दर्द बहुत तेज हो, लंबे समय तक बना रहे या अन्य गंभीर लक्षणों भी दिखें तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रेगनेंसी के पहले महीने में कमर दर्द क्यों होता है?
पहले महीने में कमर दर्द के कारणों में हार्मोनल बदलाव, गर्भाशय का बढ़ना और लिगामेंट में खिंचाव शामिल हैं। कमर में होना प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण में से एक है।
प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में कमर दर्द क्यों होता है?
तीसरे महीने में भ्रूण और वजन बढ़ने एवं हार्मोनल परिवर्तनों के कारण रीढ़ और लिगामेंट पर दबाव बढ़ता है जिससे कमर में दर्द होता है।
प्रेग्नेंसी के नौवें महीने में कमर दर्द क्यों होता है?
नौवें महीने में कमर दर्द का कारण बच्चे का बढ़ा हुआ वजन, पेल्विक क्षेत्र पर पड़ रहा दबाव और प्रेगनेंसी में नॉर्मल डिलीवरी की तैयारी में मांसपेशियों पर पड़ रहा तनाव होता है।
प्रेगनेंसी के आठवें महीने में कमर दर्द क्यों होता है?
गर्भाशय का आकार बढ़ने, बच्चे की स्थिति बदलने और हार्मोनल परिवर्तनों के कारण कमर पर दबाव बढ़ता है जिससे प्रेगनेंसी के आठवें महीने में कमर में दर्द होता है।
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