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4 Month Pregnancy in Hindi – 4 महीने की प्रेगनेंसी के लक्षण, डाइट, शिशु का विकास और ज़रूरी सावधानियां

4 Month Pregnancy in Hindi – 4 महीने की प्रेगनेंसी के लक्षण, डाइट, शिशु का विकास और ज़रूरी सावधानियां

Dr. Rakhi Goyal
Dr. Rakhi Goyal

MBBS, MD (Obstetrics and Gynaecology)

23+ Years of experience

प्रेगनेंसी का चौथा महीना रोमांच और बदलावों से भरा होता है, क्योंकि यह प्रेगनेंसी की पहली तिमाही को पार करके दूसरी तिमाही में प्रवेश करने का समय होता है। प्रेगनेंसी के मामले में अक्सर इसे “हनीमून पीरियड” भी कहा जाता है, क्योंकि इस दौरान पहली तिमाही के मुक़ाबले कम असुविधा होती है। मसलन, मितली और थकान के मामले में आपको पहले से राहत मिलती है। इस दौरान आपके शरीर में तेज़ी से विकास होता है और शरीर में होने वाले बदलाव साफ़ तौर पर दिखने लगते हैं।

इस लेख में प्रेगनेंसी के चौथे महीने के दौरान होने वाले बदलावों, शिशु के विकास, ज़रूरी सावधानियों, आहार से जुड़े सुझावों के अलावा आपके ज़ेहन में उठने वाले सामान्य क़िस्म के सवालों पर विस्तार से चर्चा की गई है।

प्रेगनेंसी के चौथे महीने में शिशु का विकास

शुरुआती हफ़्तों की प्रेगनेंसी से तुलना करें, तो चौथे महीने में शिशु काफ़ी बड़ा हो जाता है। इस समय शिशु के अंग और गतिविधियों में होने वाले विकास के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है।

शारीरिक विकास

शिशु की लंबाई लगभग 3.5 से 5 इंच और वज़न लगभग 100 ग्राम तक हो जाता है। महीने की शुरुआत से लेकर आख़िर तक शिशु के वज़न में तक़रीबन 40 से 50 ग्राम की बढ़ोतरी होती है।

  • इस महीने शिशु के शरीर का आकार ज़्यादा स्पष्ट हो जाता है और दिखने में वह साफ़ तौर पर मनुष्य की तरह दिखने लगता है।

चेहरा और दूसरे अंगों का विकास

  • चेहरे के अंग ज़्यादा स्पष्ट होने लगते हैं, जैसे कि आंख, नाक और कान।
  • पलकें, भौंहें और सिर के बाल धीरे-धीरे उगने लगते हैं।
  • हाथों और पैरों की उंगलियां विकसित हो जाती हैं।

हडिड्यां और बाक़ी मांसपेशियां

  • शरीर में हड्डियों का पूरा ढांचा विकसित होने लगता है।
  • तंत्रिका तंत्र यानी नर्वस सिस्टम भी विकसित होने लगता है।
  • शिशु की मांसपेशियां मज़बूत होने लगती हैं।
  • इस दौरान शिशु चूसना, निगलना और पलक झपकाना सीख जाता है।

बाहरी गतिविधियों पर प्रतिक्रिया

  • शिशु अब बाहरी रोशनी और आवाज़ पर प्रतिक्रिया देना शुरू कर देता है।
  • शरीर के अंग विकसित होने की वजह से वह मूवमेंट भी करने लगता है, लेकिन इस समय तक मां को इस मूवमेंट का स्पष्ट पता नहीं चल पाता।
  • शिशु के मस्तिष्क की जटिल संरचनाएं बनने लगती हैं।
  • कुछ शोधों में पाया गया है कि इस समय तक शिशु को आपकी आवाज़ और संगीत सुनने से शांति मिलती है।

हृदय गति और रक्त का संचार

शिशु का हृदय पूरी तरह काम करने लगता है और यह कुशलता के साथ ख़ून को पंप करता है।

  • इस महीने, आप डॉक्टर की सहायता से शिशु के दिल की धड़कन सुन सकती हैं, जो माता-पिता के लिए एक अनमोल एहसास होता है।

प्राइवेट पार्ट का विकास

शिशु के प्रजनन अंग विकसित होने लगते हैं। अगर इस समय अल्ट्रासाउंड किया जाए, तो शिशु का लिंग पता चल सकता है। हालांकि, अपने देश में यह क़ानूनी रूप से प्रतिबंधित है, लेकिन वैज्ञानिक लिहाज़ से देखें, तो लड़का और लड़की के बीच चौथे महीने में अंतर पता चल जाता है।

प्रेगनेंसी के चौथे महीने में आपके शरीर में होने वाले बदलाव

जैसे-जैसे आपका शिशु बढ़ता है, आपका शरीर भी इस बदलाव के लिए ख़ुद को ढालता रहता है। इस वजह से शरीर में तेज़ी से बदलाव होते हैं, जिनमें से कुछ का पता आपको आसानी से चल जाता है और कुछ का नहीं चल पाता।

बेबी बंप का दिखना:

यूटरस यानी बच्चादानी अब पेल्विस से ऊपर उठ जाता है, जिससे बेबी बंप दिखने लगता है। हालांकि, यह बहुत बड़ा नहीं होता। बेबी बंप का साइज़ आपके शरीर के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है। इस समय आपको ज़्यादा आरामदायक कपड़े पहनने की ज़रूरत पड़ सकती है।

ज़्यादा ऊर्जा महसूस होना:

मितली कम हो जाने और हार्मोन लेवल में स्थिरता आने की वजह से इस महीने आपको ज़्यादा ऊर्जा महसूस हो सकती है। पहली तिमाही के मुक़ाबले, एनर्जी लेवल में आए इस बदलाव की वजह से आप अपने काम पर ज़्यादा फ़ोकस कर सकती हैं।

त्वचा में बदलाव:

बढ़े हुए रक्त संचार की वजह से आपकी त्वचा में चमक आ सकती है। आपको लाइनिया निग्रा (पेट परऊपर से नीचे की ओर गहरी सीधा रेखा) और चेहरे पर मेलास्मा (गहरे धब्बे) जैसे बदलाव देख सकती हैं, जो पूरी तरह सामान्य हैं।

भावनात्मक स्थिरता:

हार्मोन में तेज़ी से होने वाले बदलाव का सिलसिला कम हो जाता है और इस वजह से भावनात्मक तौर पर भी आप ज़्यादा स्थिर महसूस कर सकती हैं। हालांकि, मूड स्विंग अभी भी हो सकता है, क्योंकि हार्मोन में होने वाले बदलाव की गति भले ही धीमी हो जाती है, लेकिन बदलाव की यह प्रक्रिया बंद नहीं होती।

वजन बढ़ना:

इस समय वज़न धीरे-धीरे बढ़ता रहता है। औसतन, हर हफ़्ते आपका आधे से एक किलोग्राम के बीच वज़न बढ़ सकता है।

सामान्य लक्षण:

पहली तिमाही में होने वाली मॉर्निंग सिकनेस कम हो जाती है। मॉर्निंग सिकनेस का मतलब मितली और चक्कर आने जैसी कई तरह के लक्षणों से है। इस दौरान आपको नई तरह की समस्याएं देखने को मिल सकती हैं, जैसे कि नाक बंद होना, हार्टबर्न और कब्ज। स्तन अब भी सेंसिटिव बना रहता है, लेकिन पहली तिमाही की तुलना में यह सेंसिटिविटी कम हो जाती है।

प्रेगनेंसी के चौथे महीने में दिखने वाले सामान्य लक्षण – 4 Month Pregnancy Symptoms in Hindi

लक्षण कारण कैसे मैनेज करें
भूख बढ़ना शिशु के विकास के लिए अतिरिक्त पोषण की ज़रूरत पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें
हार्टबर्न और अपच हार्मोन में होने वाले बदलावों की वजह से पाचन तंत्र शिथिल पड़ जाता है कम मात्रा में ज़्यादा बार खाएं, खाना खाने के तुरंत बाद न लेंटें और मसालेदार खाना खाने से बचें
नाक बंद होना म्यूकस मेम्ब्रेन में रक्त प्रवाह बढ़ने की वजह से राहत के लिए सलाइन स्प्रे या ह्यूमिडिफ़ायर का इस्तेमाल करें
चक्कर आना ब्लड प्रेशर में होने वाले बदलाव की वजह से झटके में खड़े होने से बचें, धीरे-धीरे खड़े हों और पूरे दिन पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं
कब्ज प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की वजह से पाचन धीमा हो जाता है फ़ाइबर से भरपूर आहार लें, जैसे कि फल, सब्ज़ियां और साबुत अनाज
मसूड़ों से ख़ून आना हार्मोन में होने वाले बदलावों से मसूड़े सेनसिटिव हो जाते हैं धीरे-धीरे ब्रश करें, नरम ब्रश का इस्तेमाल करें और मुंह की साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखें

4 महीने की प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए और क्या न खाएं?

प्रेगनेंसी आहार में इन चीज़ों को शामिल करें

  1. हरी पत्तेदार साग-सब्जियां: पालक, केले और ब्रोकोली से फ़ोलिक एसिड और आयरन मिलता है।
  2. फलसंतरे, सेब और जामुन से विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट मिलते हैं।
  3. प्रोटीनमांस, अंडे, दाल और चने शिशु के टिशू के विकास में मददगार होते हैं।
  4. कैल्शियम युक्त आहार: दूध और दूध से बनी चीज़ें, बादाम और फ़ोर्टिफ़ाइड अनाज हड्डियों और दांतों को मज़बूत बनाते हैं।
  5. साबुत अनाज: ब्राउन राइस और जौ जैसे अनाज से ऊर्जा और फ़ाइबर मिलते हैं।
  6. ओमेगा-फ़ैटी एसिडसैल्मन, अखरोट और अलसी के बीज मस्तिष्क के विकास में मददगार होते हैं।

इन चीज़ों को खाने से पहरेज करें

  1. हाई-मर्करी फिश: शार्क, स्वोर्डफ़िश और किंग मैकेरल से बचें, क्योंकि ये बच्चे के मस्तिष्क के विकास पर असर डाल सकते हैं।
  2. कच्चा या अधपका मांस: इनमें टोक्सोप्लाज़्मोसिस जैसी बैक्टीरिया से संक्रमण का ख़तरा होता है।
  3. बिना पॉश्चुराइज़ हुआ डेयरी प्रॉडक्ट: इससे लिस्टेरिया जैसी हानिकारक बैक्टीरिया शरीर में घर कर सकती हैं।
  4. कैफ़ीन: रोज़ाना 200 मिलीग्राम से कम मात्रा में लें। इससे ज़्यादा कैफ़ीन का बच्चे के ऊपर बुरा असर पड़ सकता है।
  5. ज़्यादा चीनी और जंक फ़ूड: इनसे ग़ैर-ज़रूरी मात्रा में कैलोरी मिलती है, जिससे वज़न बढ़ सकता है।

प्रेगनेंसी के चौथे महीने में ये सावधानियां बरतें

  1. चलते-फिरते रहें: हल्का व्यायाम करते रहें, जैसे कि चलना, तैराकी करना या प्रेगनेंसी से जुड़े योग।
  2. प्रीनेटल केयर करें: डॉक्टर ने अगर बुलाया है, तो अपॉइंटमेंट मिस न करें। इस महीने में डॉक्टर के सुझाव के मुताबिक़ टेस्ट कराएं और उनसे संपर्क में रहें। कोई भी परेशानी होने पर उनसे बात करें।
  3. हानिकारक पदार्थों से बचें: धूम्रपान, शराब और नशीले पदार्थों से पूरी तरह बचें।
  4. सही पोश्चर में रहें: पेट बढ़ने के साथ शरीर के संतुलन में बदलाव होते हैं, इसलिए बैठते और खड़े होते समय सावधानी बरतें और सही पोश्चर अपनाएं।
  5. पर्याप्त पानी पीएं: दिन भर में 8-10 गिलास पानी पीएं।
  6. पर्याप्त नींद लें: आपके स्वास्थ्य और बच्चे के विकास के लिए प्रेगनेंसी में सोना ज़रूरी है। अच्छी नींद से यूटरस (गर्भाशय) और प्लेसेंटा में रक्त संचार बेहतर होता है। सोने में अगर परेशानी होती है, तो प्रेगनेंसी पिलो (तकिया) का इस्तेमाल करें।
  7. इंफ़ेक्शन से ख़ुद को बचाएंनियमित रूप से हाथ धोते रहें। ख़ासकर बाथरूम जाने और खाना खाने के बाद। बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचें।

डॉक्टर से कब संपर्क करें?

प्रेगनेंसी के चौथे महीने में होने वाले ज़्यादातर बदलाव बेहद सामान्य क़िस्म के होते हैं, लेकिन कुछ लक्षण दिखने पर आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आइए इन लक्षणों को जानते हैं, ताकि आप इन्हें सामान्य समझकर नज़र अंदाज़ न करें:

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या इस समयज़्यादा एनर्जी महसूस करना सामान्य है?

हां, ज़्यादातर महिलाओं को प्रेगनेंसी के इस चरण में ज़्यादा एनर्जी महसूस होती है, क्योंकि मॉर्निंग सिकनेस कम होने से मितली कम हो जाती है और हार्मोन का स्तर स्थिर हो जाता है।

क्या मैं इस महीने यात्रा कर सकती हूं?

दूसरी तिमाही में यात्रा करना आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, यात्रा करने से पहले देख लें कि वह आरामदायक हो और बेहतर है कि अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह लें।

क्या मुझे कुछ स्किनकेयर प्रॉडक्ट से बचना चाहिए?

हां, रेटिनोइड्स और सैलिसिलिक एसिड वाले उत्पादों से बचें, क्योंकि वे शिशु को नुकसान पहुंचा सकते हैं। प्रेगनेंसी के लिए डॉक्टर द्वारा सुझाए गए सुरक्षित प्रॉडक्ट का ही इस्तेमाल करें।

मुझे कितना वजन बढ़ाना चाहिए?

वजन बढ़ना हर महिला की निजी स्थितियों और शरीर पर निर्भर करता है, लेकिन इस चरण में माना जाता है कि हर हफ़्ते औसतन आधा से एक किलोग्राम वजन बढ़ना चाहिए।

मैं अपने बच्चे का मूवमेंट कब महसूस करूंगी?

कई महिलाएं 18–22 सप्ताह के बीच बच्चे की हल्की-फुल्की हरकतें महसूस करना शुरू कर देती हैं, जिसे मेडिकल भाषा में ‘क्विकनिंग’ कहा जाता है। हालांकि, यह हर महिला के लिए अलग हो सकता है।

प्रेगनेंसी से जुड़े मिथ्स और फ़ैक्ट्स

मिथ्स फ़ैक्ट्स
“दो लोगों के लिए खाना” मतलब अपने भोजन की मात्रा दोगुनी करना। दूसरी तिमाही में, आपको रोज़ाना लगभग 300 अतिरिक्त कैलोरी की ज़रूरत होती है। दोगुना खाना खाने की ज़रूरत नहीं है।
प्रेगनेंट महिलाओं को व्यायाम नहीं करना चाहिए। डॉक्टर की मंजूरी से हल्का व्यायाम करना न सिर्फ़ सुरक्षित है, बल्कि यह कई मायनों में फ़ायेदमंद भी है।
मॉर्निंग सिकनेस पहली तिमाही में पूरी तरह ख़त्म हो जाती है। यह अक्सर कम हो जाती है, लेकिन कुछ महिलाओं को यह चौथे महीने में भी महसूस हो सकती है।
खाने की इच्छा से बच्चे का लिंग पता चल सकता है। खाने की इच्छाएं हार्मोनल बदलावों की वजह से होती हैं, बच्चे के लिंग के कारण नहीं।

निष्कर्ष

प्रेगनेंसी का चौथा महीना मां और बच्चे दोनों के लिए रोमांचक बदलाव और विकास का समय होता है। इस चरण में शरीर में दिखने वाले लक्षण अमूमन स्थिर हो जाते हैं और आप अपनी लाइफ़स्टाइल को बेहतर बनाने, संतुलित आहार लेने और आने वाले महीनों की तैयारी पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित कर सकती हैं।

प्रेगनेंसी के इस सफ़र को सकारात्मक होकर जिएं और सक्रिय रहें। याद रखें, हर महिला का अनुभव अलग-अलग हो सकता है, इसलिए किसी दूसरी महिला के साथ अपनी तुलना करके परेशान न हों। अपने शरीर की सुनें और जब आराम की ज़रूरत हो, आराम करें। डॉक्टर से संपर्क में रहें, परिजनों के साथ भावनात्मक तौर पर जुड़े रहें।

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Dr. Sukriti Sharma

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