दिल्ली में एसटीडी (यौन संचारित रोग) का इलाज

दिल्ली जैसे बड़े शहरों में तेजी से बदलती जीवनशैली और जागरूकता की कमी के कारण यौन संचारित रोग (एसटीडी) के मामलों में इज़ाफा देखा जा रहा है। अगर आपको जलन, असामान्य डिस्चार्ज, जननांगों में दर्द या सेक्स के बाद असहजता जैसी समस्याएं महसूस हो रही हैं, तो यह एसटीडी के संकेत हो सकते हैं। ऐसे में समय पर विशेषज्ञ से परामर्श लेना ज़रूरी है। अगर आप दिल्ली में बेस्ट एसटीडी डॉक्टर से अपना इलाज कराना चाहते हैं तो बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ से सम्पर्क करें। हमारे अनुभवी सेक्सुअल हेल्थ एक्सपर्ट्स द्वारा गोपनीयता का ध्यान रखते हुए परामर्श, जाँच और व्यक्तिगत इलाज उपलब्ध कराया जाता है। सही समय पर इलाज से न सिर्फ संक्रमण को रोका जा सकता है, बल्कि भविष्य की जटिलताओं से भी बचा जा सकता है। आज ही Birla Fertility & IVF से संपर्क करें और अपॉइंटमेंट बुक करें।

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दिल्ली में एसटीडी (यौन संचारित रोग) के इलाज की प्रक्रिया

Treatment Steps

  • शुरुआती परामर्श
  • जाँच
  • इलाज
  • फॉलोअप परामर्श
शुरुआती परामर्श

एसटीडी से जुड़े लक्षण या संदेह होने पर शुरुआती परामर्श में डॉक्टर आपकी सेक्स हिस्ट्री, लक्षण और जोखिम का मूल्यांकन करते हैं और आवश्यक जांच की सलाह देते हैं।

दिल्ली में एसटीडी (यौन संचारित रोग) के इलाज के लिए हमारे सेंटर

पुरस्कार एवं सम्मान

एसटीडी (यौन संचारित रोग) क्या है?

एसटीडी का पूरा नाम है “Sexually Transmitted Diseases”, जिसे हिंदी में यौन संचारित रोग कहा जाता है। ये ऐसे संक्रमण होते हैं जो मुख्य रूप से असुरक्षित यौन संबंधों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं। ये बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी के कारण हो सकते हैं। समय पर पहचान और इलाज न होने पर ये रोग गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं, जैसे बांझपन, गर्भावस्था से जुड़ी समस्याएं, या यहां तक कि कैंसर भी।

एसटीडी के लक्षण

हर एसटीडी के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं और कई बार शुरुआत में कोई लक्षण दिखाई भी नहीं देता। लेकिन कुछ आम लक्षण इस प्रकार हैं:

यदि इनमें से कोई लक्षण नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

एसटीडी के कारण

एसटीडी फैलने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें सबसे आम हैं:

  • असुरक्षित यौन संबंध (बिना कंडोम के)
  • एक से अधिक यौन साथियों के साथ संबंध
  • संक्रमित व्यक्ति के साथ संपर्क
  • संक्रमित ब्लड ट्रांसफ्यूजन
  • संक्रमित सुई या उपकरण का इस्तेमाल
  • मां से बच्चे को (गर्भावस्था, डिलीवरी या स्तनपान के दौरान)

कुछ संक्रमण जैसे HPV और हेपेटाइटिस B शरीर के तरल पदार्थ या त्वचा के संपर्क से भी फैल सकते हैं।

एसटीडी का निदान कैसे होता है?

एसटीडी का सही समय पर निदान बहुत ज़रूरी होता है, जिससे गंभीर परिणामों से बचा जा सके। इसके लिए डॉक्टर निम्नलिखित जांचें कर सकते हैं:

  • ब्लड टेस्ट: एचआईवी, सिफिलिस, हेपेटाइटिस B और C के लिए
  • यूरीन टेस्ट: क्लैमिडिया और गोनोरिया के लिए
  • स्वैब टेस्ट: योनि, लिंग, गले या मलाशय से नमूने लेकर जांच
  • शारीरिक जांच: जननांगों की जांच, घाव या रैश का निरीक्षण
  • HPV या पाप स्मीयर टेस्ट: महिलाओं के लिए

जांच के नतीजे गोपनीय रखे जाते हैं और डॉक्टर उचित सलाह देते हैं।

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दिल्ली में एसटीडी (यौन संचारित रोग) के इलाज के लिए हमारे डॉक्टर

एसटीडी का इलाज

एसटीडी का इलाज संक्रमण के प्रकार पर निर्भर करता है:

  • बैक्टीरियल संक्रमण जैसे गोनोरिया, क्लैमिडिया और सिफिलिस को एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक किया जा सकता है।
  • वायरल संक्रमण जैसे एचआईवी, हेपेटाइटिस B और HPV का पूरी तरह इलाज संभव नहीं, लेकिन दवाओं से इन्हें कंट्रोल किया जा सकता है।
  • परजीवी संक्रमण जैसे ट्राइकोमोनियासिस का इलाज दवाओं से होता है।

डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी दवा न लें। इलाज के दौरान और कुछ समय बाद तक यौन संबंध से बचना जरूरी होता है।

एसटीडी के प्रकार

  1. एचआईवी (HIV/AIDS): इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है
  2. गोनोरिया (Gonorrhea): पेशाब में जलन और स्राव
  3. क्लैमिडिया (Chlamydia): महिलाओं में निःसंतानता का कारण
  4. सिफिलिस (Syphilis): शरीर पर घाव, बाद में तंत्रिका तंत्र प्रभावित
  5. एचपीवी (HPV): जननांग मस्से और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का कारण
  6. हेपेटाइटिस B और C: लीवर पर असर डालते हैं
  7. हरपीज (Herpes): बार-बार घाव या फुंसी
  8. ट्राइकोमोनियासिस (Trichomoniasis): महिलाएं अधिक प्रभावित होती हैं

हर प्रकार का इलाज अलग होता है, इसलिए डॉक्टर से परामर्श अनिवार्य है।

एसटीडी से बचाव कैसे करें?

बचाव इलाज से बेहतर होता है। कुछ आसान उपाय अपनाकर आप एसटीडी से बच सकते हैं:

  • हमेशा सुरक्षित यौन संबंध बनाएं (कंडोम का इस्तेमाल करें)
  • एक ही यौन साथी के साथ रहें
  • यौन जीवन की नियमित जांच कराएं
  • पार्टनर के साथ खुलकर संवाद करें
  • संक्रमित सुई या ब्लड से बचें
  • हेपेटाइटिस B और HPV की वैक्सीन लें
  • साफ-सफाई का ध्यान रखें

एसटीडी की शुरुआती जांच का महत्व

बहुत से लोग तब तक जांच नहीं कराते जब तक कोई लक्षण नजर न आएं। लेकिन कई एसटीडी बिना लक्षण के भी शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए यदि आप यौन रूप से सक्रिय हैं, तो समय-समय पर जांच करवाना जरूरी है।

  • समय पर पहचान से इलाज आसान और सस्ता होता है
  • लंबे समय तक बिना इलाज के संक्रमण, निःसंतानता, गर्भपात और कैंसर तक पहुंच सकता है
  • अपने पार्टनर को संक्रमण से बचाया जा सकता है
  • आप मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं

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