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Vaginal Pain During Pregnancy in Hindi – प्रेगनेंसी में वजाइना में दर्द के कारण और इलाज

Vaginal Pain During Pregnancy in Hindi – प्रेगनेंसी में वजाइना में दर्द के कारण और इलाज

Dr. Sonal Chouksey
Dr. Sonal Chouksey

MBBS, DGO

16+ Years of experience

प्रेगनेंसी के दौरान कई महिलाओं को योनि में दर्द की शिकायतें रहती हैं। यह बहुत असामान्य भी नहीं है। शारीरिक और स्वास्थ्य से जुड़ी अलग-अलग स्थितियों की वजह से प्राइवेट पार्ट में दर्द हो सकता है। कई बार शरीर में मौजूद दूसरी बीमारियां भी वजाइना में दर्द का कारण बन सकती हैं। इन कारणों को समझना और इसकी पहचान करना बेहद ज़रूरी है। साथ ही, इसके इलाज और रोकथाम के उपायों की जानकारी भी प्रेगनेंट महिलाओं के पास होनी चाहिए। इस लेख में हम इन्हीं सब मुद्दों की चर्चा करेंगे।

प्रेगनेंसी के दौरान योनि में दर्द के कारण – Pregnancy Me Yoni Dard ke Karan

कई महिलाएं प्रेगनेंसी में योनि में दर्द होने पर भी इस पर खुलकर बात करने से हिचकती हैं। कुछ इससे घबरा सकती हैं कि प्रेगनेंसी में प्राइवेट पार्ट में दर्द क्यों होता है? हालांकि, छिपाने या घबराने से ज़्यादा ज़रूरी है इस दर्द के कारणों को पहचानना और सही समय पर उचित क़दम उठाना। तो, आइए सबसे पहले जानते हैं कि प्रेगनेंसी में वजाइना में दर्द की अहम वजहें क्या हैं:

  1. हार्मोनल बदलाव
    प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोनल उतार-चढ़ाव होते हैं। ख़ासकर, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में जैसे हार्मोन में होने वाली बढ़ोतरी। ये हार्मोन पेल्विक हिस्से में ब्लड फ़्लो को बढ़ाते हैं और योनि के टिशू को ज़्यादा सेनसिटिवि (संवेदनशील) बनाते हैं।
  2. ब्लड फ़्लो का बढ़ा हुआ स्तर
    प्रेगनेंसी में शरीर का ब्लड वॉल्यूम काफ़ी बढ़ जाता है, ताकि विकसित हो रहे भ्रूण को इससे मदद मिल सके। बढ़ते ब्लड फ़्लो की वजह से पेल्विक हिस्से की नसें फूल सकती हैं, जिससे योनि में दबाव या दर्द महसूस हो सकता है।
  3. राउंड लिगामेंट पेन
    जैसे-जैसे यूटरस (बच्चादानी) का आकार बढ़ता है, उसे सहारा देने वाली राउंड लिगामेंट्स खिंचती हैं। इस वजह से पेट के निचले हिस्से में दर्द पैदा हो सकता है। यह दर्द योनि के हिस्से तक फैल सकता है। प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में ऐसा होना सामान्य है।
  4. वजाइनल इनफ़्केशन
    प्रेगनेंसी के दौरान योनि में आंतरिक तौर पर काफ़ी बदलाव आता है, जिससे यीस्ट इनफ़ेक्शन, बैक्टीरियल वजाइनोसिस और यौन संचारित संक्रमण यानी एसटीआई का ख़तरा बढ़ जाता है। इनसे योनि में खुजली, जलन, असामान्य डिसचार्ज और दर्द की समस्याएं आम तौर पर देखी जाती हैं। प्रेगनेंसी के दौरान ये इनफ़ेक्शन भी वजाइना में दर्द का कारण हो सकते हैं।
  5. वल्वर वैरिकोसिटीज़
    बढ़ते हुए यूटरस की वजह से पेट के निचले हिस्से पर दबाव बढ़ता है। इस वजह से वल्वा में वैरिकोज़ वीन्स का आकार बढ़ने लगता है, जिसे वल्वर वैरिकोसिटीज़ कहते हैं। वैरिकोज़ वीन्स (नसों) के सूजने से योनि और उसके आस-पास सूजन और दर्द की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
  6. पेल्विक गिर्डल पेन (पीजीपी)
    पीजीपी, पेल्विक हिस्से में होने वाला दर्द है। असल में, डिलीवरी की तैयारी में शरीर में कई बदलाव होते हैं और पेल्विक जॉइंट एवं लिगामेंट की जगह में हल्का बदलाव होता है और ये ढीले पड़ने लगते हैं। इस वजह से योनि और उसके आस-पास कई तरह की असुविधाएं होने लगती हैं। प्रेगनेंसी में वजाइना में दर्द की एक वजह यह भी है।
  7. बढ़ते हुए बच्चे की वजह से दबाव
    जैसे-जैसे भ्रूण बढ़ता है, उसका वज़न पेल्विक फ़्लोर की मांसपेशियों और नसों पर दबाव डालना शुरू कर देता है। इस वजह से योनि में भारीपन या दर्द महसूस हो सकता है।
  8. प्रीटर्म लेबर
    प्रेगनेंसी के 37वें हफ़्ते से पहले अगर योनि में दर्द के साथ-साथ नियमित रूप से कॉन्ट्रैक्शन (संकुचन), कमर दर्द या फिर पेल्विक हिस्से पर दबाव महसूस होता है, तो यह प्रीटर्म लेबर का संकेत हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
  9. यूरीनरी ट्रैक्ट इनफ़ेक्शन (यूटीआई)
    प्रेगनेंट महिलाओं में यूटीआई का जोखिम सामान्य से ज़्यादा होता है। इस वजह से पेल्विक हिस्से में असुविधा, योनि में दर्द, बार-बार पेशाब आने के साथ-साथ जलन जैसे लक्षण देखने को मिल सतके हैं।

प्रेगनेंसी की अलग-अलग तिमाही में योनि में होने वाले दर्द की वजह

तिमाही कारण
पहली हार्मोनल बदलाव, इनफ़ेक्शन
दूसरी राउंड लिगामेंट का दर्द, वल्वर वैरिकोसिटीज़
तीसरी बच्चे का वज़न, प्लेविक गिर्डल पेन

 

प्रेगनेंसी में प्राइवेट पार्ट में दर्द कब सामान्य नहीं होता?

प्रेगनेंसी के दौरान योनि में दर्द और असुविधा सामान्य है, लेकिन कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जिन पर नज़र रखनी चाहिए। अगर आपको भी ऐसे लक्षण देखने को मिले, तो फ़ौरन डॉक्टर से संपर्क करें:

  • बहुत तेज़ या फिर लगातार होने वाला दर्द: अगर दर्द आराम करने पर ठीक न हो और यह असहनीय हो, तो यह एक गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है।
  • ब्लीडिंग या स्पॉटिंग: प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी तरह की वजाइनल ब्लीडिंग को गंभीरता से लेना चाहिए और ऐसी स्थिति पैदा होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
  • दुर्गंध भरा डिसचार्ज: यह एक तरह के इनफ़ेक्शन का संकेत हो सकता है इसलिए डॉक्टर से मिलना चाहिए।
  • बुखार या ठंड: ये लक्षण योनि के दर्द के साथ-साथ इनफ़ेक्शन का संकेत हो सकते हैं।
  • प्रीटर्म लेबर संकेत: प्रेगनेंसी के 37वें हफ़्ते से पहले अगर प्राइवेट पार्ट में दर्द के साथ-साथ नियमित रूप से कॉन्ट्रैक्शन, कमर दर्द या पेल्विक हिस्से में दबाव महूसस होता है, तो डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।

प्रेगनेंसी के दौरान योनि में दर्द का इलाज

कुछ लक्षण सामान्य क़िस्म के होते हैं, जिन्हें घरेलू उपचार से ही ठीक किया जा सकता है। हालांकि, कुछ में डॉक्टर की मदद लेने की ज़रूरत पड़ सकती हैं। आइए, सबसे पहले घरेलू उपचारों के बारे में बात करते हैं:

योनि में दर्द के लिए घरेलू उपचार

  • गर्म सिकाई: पेट के निचले हिस्से में गर्म सिकाई करें। इससे असुविधा कम करने में मदद मिल सकती है।
  • सिट्ज़ बाथ: सिट्ज़ बाथ का मतलब है किसी टब में गुनगुना पानी करके इस तरह बैठना कि आपका प्राइवेट पार्ट का उस पानी से सिकाई हो सके। सिट्ज़ बाथ से भी योनि योनि के दर्द और सूजन को कम किया जा सकता है।
  • आराम: आराम करते समय लेटने के बाद अपने पैरों के बीच तकिया रखें। इससे पेल्विक हिस्से पर पड़ने वाले दबाव को करने में मदद मिलती है।
  • पर्याप्त पानी: पर्याप्त पानी पीना ज़रूरी है। यह न सिर्फ़ संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद है, बल्कि प्रेगनेंसी में यह कई इनफ़ेक्शन से बचाने में भी मददगार साबित होता है।

लाइफ़स्टाइल में बदलाव

  • पेल्विक फ़्लोर एक्सरसाइज़: केगल एक्सरसाइज़ से पेल्विक फ़्लोर की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं और इससे दर्द कम हो सकता है।
  • आरामदायक कपड़े: मैटरनिटी सपोर्ट बेल्ट पहनने से पेल्विक हिस्से पर दबाव को कम किया जा सकता है।
  • पोश्चर में सुधार: अच्छे पोश्चर बनाए रकने से शरीर का भार एक जगह नहीं पड़ता, इससे पेल्विक हिस्से पर ग़ैर-ज़रूरी वज़न को कम किया जा सकता है।

प्रेगनेंसी में योनि में दर्द का मेडिकल इलाज

  • एंटीबायोटिक्स: यूटीआई या बैक्टीरियल वजाइनोसिस जैसे बैक्टीरियल इनफ़ेक्शन के लिए कारगर होती हैं।
  • एंटीफ़ंगल दवाएं: यीस्ट इनफ़ेक्शन के उपचार में इसका इस्तेमाल होता है। प्रेगनेंसी में टॉपिकल ट्रीटमेंट काफ़ी आम है।
  • दर्द कम करने वाली दवाइयां: दर्द दूर करने के लिए एसीटामिनोफ़ेन को आम तौर पर सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।
  • फ़िज़िकल थेरेपी: पेल्विक गिर्डल पेन को कम करने के लिए फ़िज़िकल एक्सरसाइज़ और तकनीक काफ़ी कारगर साबित हो सकते हैं। हालांकि, थेरेपिस्ट की निगरानी में ही कोई एक्सरसाइज़ करें।

प्रेगनेंसी के दौरान योनि में दर्द के सामान्य कारण और समाधान

कारण लक्षण समाधान
हार्मोनल बदलाव हल्का दर्द गर्म सिकाई करें, आराम करें
इनफ़्केशन (यीस्ट, बीवी, यूटीआई) खुजली, डिसचार्ज, जलन डॉक्टर से मिलें, साफ़-सफ़ाई का ख़ास ध्यान रखें
पेल्विक गिर्डल पेन दर्द, असुविधा फ़िज़िकल थेरेपी लें, सपोर्ट बेल्ट का इस्तेमाल करें
वल्वर वैरिकोसिटीज़ सूजन, दर्द पैरों को ऊंचा रखें, ठंडी पट्टियां लगाएं

 

प्रेगनेंसी के दौरान योनि के दर्द से बचने के उपाय

  1. साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखें: इनफ़ेक्शन से बचने के लिए योनि और आस-पास के हिस्सों को हल्के साबुन और पानी से नियमित रूप से धोएं।
  2. सक्रिय रहें: वॉकिंग जैसी हल्की एक्सरसाइज़ या प्रेगनेंसी से जुड़े योगा, पेल्विक हिस्से पर दबाव कम करने और ब्लड फ़्लो बेहतर बनाने में मददगार हो सकते हैं।
  3. पर्याप्त पानी पिएं: पर्याप्त मात्रा में पानी पीती रहें। यह बाक़ी सेहत के अलावा इनफ़ेक्शन से भी बचाता है।
  4. टाइट कपड़े पहने से बचें: ढीले और हवादार कपड़े पहनें, ताकि जलन और असुविधा कम किया जा सके।
  5. प्रेगनेंसी सपोर्ट बेल्ट का इस्तेमाल करें: इससे पेट को सहारा मिलता है और पेल्विक हिस्से पर दबाव कम होता है।
  6. मानसिक तनाव कम करने की कोशिश करें: मानसिक तनाव कम करने के लिए सांस और ध्यान से जुड़ी एक्सरसाइज़ करें। इससे सुकून मिल सकता है और अप्रत्यक्ष रूप से दर्द कम करने में मदद मिल सकती है।

प्रेगनेंसी में प्राइवेट पार्ट में होने वाले दर्द से जुड़े मिथ्स और फ़ैक्ट्स

मिथ्स फ़ैक्ट्स
प्रेगनेंसी के दौरान योनि का दर्द हमेशा ख़तरनाक होता है हार्मोन में होने वाले बदलाव या बढ़ते ब्लड फ़्लो की वजह से हल्का दर्द होना सामान्य है। गंभीर या लगातार होने वाले दर्द की स्थिति में डॉक्टर से मिलें।
योनि में दर्द की समस्या से बचने के लिए, प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज़ नहीं करनी चाहिए हल्की एक्सरसाइज़ और योगा न सिर्फ़ दर्द को कम करने में सहायक होते हैं, बल्कि इससे ब्ल़ड फ़्लो और मांसपेशियों की ताक़त भी सुधरती हैं।
प्रेगनेंसी में योनि में इनफ़ेक्शन अमूमन नहीं होते प्रेगनेंसी के दौरान इनफ़ेक्शन की आशंका ज़्यादा होती है। इसलिए, इनकी पहचान करके तुरंत इलाज कराना चाहिए
प्रेगनेंसी में हर तरह की दवाइयां असुरक्षित होती हैं कई दवाइयां आम तौर पर प्रेगनेंट महिलाओं की दी जाती हैं। मसलन, टॉपिकल एंटी-फ़ंगल या एसीटामिनोफ़ेन। हालांकि, डॉक्टर की सलाह से ही दवाइयां लें।

 

प्रेगनेंसी में योनि में होने वाले दर्द से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल: क्या प्रेगनेंसी में योनि में दर्द होना सामान्य है?

जवाब: हां, हल्का दर्द सामान्य है। हार्मोनल बदलाव, ब्लड फ़्लो में बढ़ोतरी या बच्चे के आकार बढ़ने की वजह से ऐसा हो सकता है। हालांकि, बहुत ज़्यादा या लगातार दर्द होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

सवाल: कैसे पता चलेगा कि योनि का कौन सा दर्द सामान्य है और कौन सा असामान्य?

जवाब: सामान्य दर्द, आमतौर पर हल्का और अस्थायी होता है। असामान्य दर्द गंभीर हो सकता है। साथ ही, इसमें ब्लीडिंग, दुर्गंध भरा डिसचार्ज या फिर बुखार जैसे लक्षण देखने को मिल कते हैं।

सवाल: क्या योनि के दर्द का असर बच्चे के ऊपर भी पड़ता है?

जवाब: योनि में होने वाले दर्द का आम तौर पर असर बच्चे के ऊपर नहीं पड़ता, लेकिन इनफ़्केशन या फिर प्रीटर्म लेबर की वजह से होने वाले दर्द का असर बच्चे के ऊपर पड़ सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।

सवाल: योनि के दर्द को ठीक करने के प्राकृतिक उपचार कौन-कौन से हैं?

जवाब: गर्म सिकाई, सिट्ज़ बाथ और हल्की एक्सरसाइज़ से असुविधा और दर्द को कम किया जा सकता है। नए उपाय आज़माने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

सवाल: मुझे कब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए?

जवाब: अगर आपको भारी मात्रा में ब्लीडिंग हो, गंभीर ऐंठन हो, दुर्गंध भरा डिसचार्ज हो या प्रीटर्म लेबर के संकेत दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

पार्टनर के लिए सुझाव: प्रेगनेंट महिला का ख़ास ध्यान रखें

प्रेगनेंसी की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ महिलाओं की नहीं है। इसमें पति या पार्टनर की भूमिका भी उतनी ही अहम है। इसलिए, पुरुषों की ज़िम्मेदारी है कि वे प्रेगनेंसी के दौरान पत्नी या पार्टनर का ख़ास ख़याल रखें। आम तौर पर देखा गया है कि प्रेगनेंसी के दौरान पार्टनर का सपोर्ट मिलने से न सिर्फ़ शारीरिक असुविधाओं को कम करने में मदद मिलती है, बल्कि मानसिक तनाव जैसी स्थितियों से भी निपटना आसान हो जाता है। इसलिए, पुरुषों को इन चीज़ों पर ध्यान देना चाहिए:  

  • असुविधा की घड़ी में समझदारी और धैर्य दिखाएं।
  • घरेलू कामों में मदद करें, ताकि आपकी पार्टनर के ऊपर शारीरिक दबाव कम हो।
  • उन्हें आराम करने और डॉक्टर से सलाह लेने के लिए प्रोत्साहित करें। प्रेगनेंसी के दौरान यह बेहद ज़रूरी है।

निष्कर्ष

प्रेगनेंसी के दौरान प्राइवेट पार्ट में दर्द होना कई महिलाओं के लिए सामान्य है। हालांकि, हर किसी को यह समझ होनी चाहिए कि किस तरह की स्थिति में दर्द को ख़ुद से मैनेज किया जाए और कब डॉक्टर से संपर्क किया जाए। आराम, हल्की एक्सरसाइज़, साफ़-सफ़ाई जैसी बातों का ख़ास तौर पर ख़याल रखने से महिलाओं को योनि के दर्द से काफ़ी राहत मिल सकती है। हालांकि, दर्द बढ़ने पर पति या परिजनों से बात शेयर करने में हिचके नहीं और सही समय पर डॉक्टर से परामर्श करें।

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