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बिरला प्रजनन क्षमता और आईवीएफ
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लेप्रोस्कोपी सर्जरी क्या और क्यों की जाती है? (लैप्रोस्कोपी सर्जरी हिंदी में)

  • पर प्रकाशित अप्रैल १, २०२४
लेप्रोस्कोपी सर्जरी क्या और क्यों की जाती है? (लैप्रोस्कोपी सर्जरी हिंदी में)

लेप्रोस्कोप एक चिकित्सा उपकरण है जिसका उपयोग लेप्रोस्कोपी (लैप्रोस्कोपी Meaning in Hindi) के दौरान किया जाता है। लेप्रोस्कोप एक लंबा और पतला ट्यूब होता है जिसके एक हिस्से पर लाइट और कैमरा लगता है। इस उपकरण की मदद से डॉक्टर कंप्यूटर स्क्रीन पर पेट के अंदरूनी हिस्सों को आसानी से साफ साफ देख सकते हैं।

 

विषय - सूची

लेप्रोस्कोपी सर्जरी क्या होती है (What is the Meaning of लैप्रोस्कोपी सर्जरी in English)

लेप्रोस्कोपी एक सर्जिकल प्रक्रिया है (लैप्रोस्कोपी Meaning in Hindi) जिसके दौरान लेप्रोस्कोप नामक चिकित्सा उपकरण का उपयोग किया जाता है। लेप्रोस्कोप एक विस्तार, कंकड़ और लचीला ट्यूब है जिसके एक हिस्से पर लाइट और कैमरा लगा है। इस उपकरण की मदद से डॉक्टर कंप्यूटर स्क्रीन पर पेट के अंदरूनी हिस्सों को आसानी से साफ साफ देख सकते हैं।

 

लेप्रोस्कोपिक सर्जन कौन है? (हिंदी में लेप्रोस्कोपिक सर्जन कौन है)

लेप्रोस्कोपिक सर्जन उस विशेषज्ञ के बारे में कहते हैं जिसके पास लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में वर्षों का अनुभव प्राप्त होता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जन को जनरल सर्जन भी कहते हैं कि इस सर्जरी को मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया का उपयोग करके पूरा किया जाता है।

 

लेप्रोस्कोपी के दौरान शरीर के कई अंगों का मूल्यांकन किया जाता है जिनमें मुख्य रूप से पेल्विक या जन्म अंग, बड़ी और छोटी आंत, प्लीहा, पित्त, किडनी, अपेंडिक्स, लिवर और पैंक्रियाज आदि शामिल हैं।

 

लेप्रोस्कोपी से किन सी बीमारियों का निदान किया जा सकता है

लेप्रोस्कोपी से कई बीमारियों का निदान किया जा सकता है जैसे कि हर्निया, पित्त की पथरी, लिवर कैंसर, फाइब्रॉएड, वाइरोसिस, बांझपन, पैंक्रियाज, ओवेरियन सिस्ट, पेट का ट्यूमर आदि। ओपन सर्जरी की तुलना में लेप्रोस्कोपी सर्जरी एक सुरक्षित और सफल प्रक्रिया है। 

 

लेप्रोस्कोपी सर्जरी का इस्तेमाल क्यों किया जाता है (What is Laparoscope Surgery Done in Hindi)

आमतौर पर लेप्रोस्कोपी का इस्तेमाल पेट या श्रोणि में दर्द की जांच और उसके कारण की पुष्टि करने के लिए किया जाता है। डॉक्टर जब बिना चीरा लगाए जांच की प्रक्रिया ठीक से नहीं देखते हैं तो लेप्रोस्कोपी का उपयोग किया जाता है।

लेप्रोस्कोपी का उपयोग आपके लिए किया जा सकता है:-

  • रियोसिस 
  • एक्टो प्रेग्नेंसी
  • पेल्विक इंफ्लेमेट्री डिजीज

 

जब कोई महिला गर्भवती होती है तो उसका पता लगाने के लिए डॉक्टर लेप्रोस्कोपी का इस्तेमाल करते हैं। इस स्थिति में डॉक्टर कुछ निर्देशों की जांच करते हैं जिनमें से कुछ शामिल हो सकते हैं:-

लेप्रोस्कोपी सर्जरी का उपयोग पेट या पेल्विक क्षेत्र में असामान्य उत्पत्ति जैसे कि ट्यूमर की जांच करने, कैंसर पेट के दूसरे हिस्सों में फैल रहा है या नहीं पता चलता है और शरीर के सामान्य अंगों में चोट की जांच करने के लिए भी जाता है।

लेप्रोस्कोपी सर्जरी का उपयोग शरीर के कुछ अंगों को शरीर से निकालने के लिए किया जाता है जिसमें शामिल हैं:-

  • गर्भ
  • स्प्लिन
  • पित्त
  • अंग
  • परिशिष्ट
  • कोलोन (आंशिक रूप से)

 

लेप्रोस्कोपी को शरीर के अन्य आंतरिक अंगों का उपयोग करने के लिए प्रयोग किया जाता है जैसे:-

  • हाइटल हर्निया
  • इन्गुइनल हरनिया
  • पित्त
  • जिगर
  • छोटा और बड़ा विस्तार
  • पेल्विक यानय अंग

लेप्रोस्कोपी की मदद से बीमारी और उसके कारण का पता लगाने के बाद डॉक्टर उपचार की प्रक्रिया शुरू करते हैं।

 

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से पहले क्या होता है (What Happens Behind Laparoscope Surgery in Hindi)

लेप्रोस्कोपी सर्जरी को कई कारणों से किया जाता है। आमतौर पर इस सर्जरी से पहले मरीज डॉक्टर से मिलता है जिसके दौरान डॉक्टर कुछ सवाल पूछते हैं और इस बात की पुष्टि करते हैं कि मरीज लेप्रोस्कोपी सर्जरी के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार है या नहीं।

आम तौर पर डॉक्टर सर्जरी से एक हफ्ते पहले मरीज को अपने डिक्स और लाइफ में कुछ बदलाव आने की सलाह देते हैं जैसे कि सिगरेट या शराब और पहले से चल रही दवाओं का सेवन बंद करना आदि।

साथ ही, मरीज से उसकी एलर्जी के बारे में भी पूछा जाता है ताकि सर्जरी के दौरान या बाद में होने वाली जटिलताओं की संभावना कम या समाप्त हो सके।

 

लेप्रोस्कोपी सर्जरी के दौरान क्या होता है

लेप्रोस्कोपी सर्जरी शुरू करने से पहले मरीज अपने शरीर से सोने-चांदी और कॉन्टेक्ट लेंस एवं चश्मा आदि निकाल देते हैं। उसके बाद मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाता है। कौन सा एनेस्थीसिया देता है यह डॉक्टर पूरी तरह से लेप्रोस्कोपी सर्जरी की आवश्यकता पर समाप्त करता है।

एनेस्थीसिया देने के बाद, एक छोटा सा चीरा लगाया जाता है। डॉक्टर इतना चीरा दस्तावेज़ यह लेप्रोस्कोपी की आवश्यकता वाले रोगी की स्थिति और उसका ग्रेविटेशन स्थायी रूप से करता है। डॉक्टर देखेरा के माध्यम से कैनुला नामक एक छोटा सी ट्यूब अंदर दे रहे हैं।

कैनुला की मदद से क्लाइंट के पेट में कार्बन डाइऑक्साइड गैस भरी हुई है, जिसके कारण पेट फूल जाता है और डॉक्टर सामान्य हिस्से को स्पष्ट रूप से पोछते हुए देखते हैं। पेट फूलने के बाद, डॉक्टर दूसरा चीरा रिजेक्शन उसके माध्यम से लेप्रोस्कोप नामक उपकरण को पेट के अंदर टपका रहे हैं।

लेप्रोस्कोप की एंड पर कैमरा और लाइट लगती है जिसकी मदद से डॉक्टर कंप्यूटर स्क्रीन पर पेट के सामान्य अंगों को साफ-साफ देखते हैं।

 

क्या लेप्रोस्कोपी सर्जरी हानिकारक है?

आमतौर पर लेप्रोस्कोपी सर्जरी के दौरान मरीज को जेनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है जिससे प्रक्रिया के दौरान दर्द का खतरा खत्म हो जाता है। लेप्रोस्कोपी सर्जरी एक दर्द अनुपयोगी प्रक्रिया है। हालांकि, ऑपरेशन फुल और एनेस्थीसिया का असर मरीज को ऑपरेशन करने वाले की जगह लेग-फुल्का दर्द हो सकता है।

 

इतना ही नहीं, लेप्रोस्कोपी ऑपरेशन के दौरान बहुत ही छोटा सा चीरा लगाया जाता है। इसलिए इस प्रक्रिया के दौरान ब्लीडिंग यानी रक्तस्राव का खतरा भी लगभग शून्य होता है। लेप्रोस्कोपी सर्जरी के बाद निशान नहीं होते हैं और संक्रमण का खतरा लगभग न के बराबर होता है। साथ ही, लेप्रोस्कोपी ऑपरेशन के बाद रोगी को लंबे समय तक अस्पताल में रहने की आवश्यकता नहीं है। सामान्य रूप से प्रक्रिया समाप्त होने के एक दिन बाद ही क्लाइंट को परिचय दिया जाता है।

 

लेप्रोस्कोपी सर्जरी के बाद क्या होता है (What Happens After Laparoscope Surgery in Hindi)

लेप्रोस्कोपी सर्जरी की प्रक्रिया पूरी तरह से होने के बाद रोगी के शरीर से चिकित्सा उपकरण को निकाल दिया जाता है। परिष्कृत चीरा को टांकों या सर्जिकल टेप से बंद करके उसके ऊपर की पट्टी लगा दी जाती है।

लेप्रोस्कोपी सर्जरी समाप्त होने के बाद मरीज को रिटर्न के रूप में स्विच किया जाता है, जहां डॉक्टर कुछ समय के लिए रोगी के समग्र स्वास्थ्य का मॉनिटर करते हैं। इस दौरान डॉक्टर कुछ चीजों की पुष्टि करते हैं जैसे:-

  • रोगी सही से सांस ले रहा है
  • उसका धधकने संतुलित हैं
  • एनेस्थीसिया का कोई साइड इफेक्ट नहीं है
  • चीरा लगाने की जगह से ब्लीडिंग तो नहीं हो रही है

इन सभी चीजों की पुष्टि करने के बाद डॉक्टर मरीज को अस्पताल से अवलोकन करते हैं। साथ ही, सर्जरी के बाद घर पर किन बातों का ध्यान रखना है, इसके बारे में भी बयान हैं।

लेप्रोस्कोपी सर्जरी के बाद मरीज को जब पेश किया जाएगा तो यह पूर्ण रूप से लेप्रोस्कोपी सर्जरी की आवश्यकता और रोगी के समग्र स्वास्थ्य पर स्थायी है।

 

लेप्रोस्कोपी सर्जरी के फायदे (Benefits of Laparoscope Surgery in Hindi)

लेप्रोस्कोपी एक संक्षिप्त, सरल और सुरक्षित प्रक्रिया है जिसके दौरान रोगी को कम से कम लेखांकन का सामना करना पड़ता है। लेप्रोस्कोपी सर्जरी के कुछ फायदे हैं:-

  • यह एनेस्थीसिया के प्रभाव में किया जाता है इसलिए रोगी को दर्द नहीं होता है
  • सर्जरी के दौरान बहुत छोटा सा चीरा लगता है, इसलिए ब्लीडिंग कम से कम या लगभग न के बराबर होती है
  • सर्जरी के बाद चीरा का निशान नहीं बनता है
  • इस प्रक्रिया के दौरान या बाद में संक्रमण का खतरा कम से कम या नहीं के बराबर होता है
  • पहले के बाद अस्पताल में जोखिम की आवश्यकता नहीं होती है

यही कारण है कि लेप्रोस्कोपी सर्जरी को एक प्रभावशाली, सुरक्षित और सफल प्रक्रिया माना जाता है।

 

लेप्रोस्कोपी सर्जरी के नुकसान (हिंदी में लेप्रोस्कोपी सर्जरी के दुष्प्रभाव)

किसी भी सर्जरी की तरह लेप्रोस्कोपी सर्जरी के कुछ ज़ोन डैमेज या साइड गड़बड़ कर सकते हैं। लेप्रोस्कोपी सर्जरी के कुछ पहलू उलझ सकते हैं:-

  • संक्रमण:- कुछ मामलों में रोगी या डॉक्टर के समान कारण से संक्रमण हो सकता है। हालांकि, इसकी अनुमान कम होता है।
  • कमजोरी:- यदि रोगी की आयु 50-60 वर्ष से अधिक है तो लेप्रोस्कोपी सर्जरी के बाद उनकी कमजोरी की शिकायत हो सकती है।
  • बुखार लगना:- कमजोरी का कारण बुखार आना संभव है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से मिलकर इस बारे में बात करनी चाहिए।
  • उल्टी होना:- लेप्रोस्कोपी सर्जरी के बाद कुछ लोगों को उल्टी भी हो सकती है।
  • जलन:- लेप्रोस्कोपी सर्जरी के दौरान लगाए गए चिरा के चारों ओर जलन जलन इसके किनारों को उलझाती है।
  • खून का थक्का:- कुछ मामलों में लेप्रोस्कोपी सर्जरी के बाद खून का थक्का बन सकता है।

यदि आप लेप्रोस्कोपी सर्जरी के बाद ऊपर दिए गए किसी भी लक्षण का स्वयं अनुभव करते हैं, तो आप इसके बारे में तुरंत अपने डॉक्टर को बताएं ताकि जल्दी से जल्द ही ऐसा हो सके।

 

बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न:

 

लेप्रोस्कोपी सर्जरी कैसे होती है?

लेप्रोस्कोपी के दौरान, सर्जन लगभग 1 से 1.5 सेमी (0.4 से 0.6 इंच) का एक छोटा कट (चीरा) दावा करते हैं, आमतौर पर आपके पेट बटन के पास। चीरे के माध्यम से एक ट्यूब डाली जाती है, और आपके पेट (पेट) को फुलाने के लिए ट्यूब के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड गैस पंप की जाती है।

 

लेप्रोस्कोपी में कितना समय लगता है?

जब किसी स्थिति का निदान करने के लिए लेप्रोस्कोपी का उपयोग किया जाता है, तो प्रक्रिया में आमतौर पर 30-60 मिनट लगते हैं। सर्जरी के प्रकार के आधार पर, यदि सर्जन किसी स्थिति का इलाज कर रहे हैं तो यह अधिक समय लगेगा।

 

लेप्रोस्कोपी सर्जन क्या करता है?

लेप्रोस्कोपी एक प्रकार की सर्जिकल प्रक्रिया है जो एक सर्जन को त्वचा में बिना पेट (पेट) और खिंचाव के अंदर तक पहुंचने में मदद करती है। इस प्रक्रिया को कीहोल सर्जरी या मिनिमली इनवेसिव सर्जरी के रूप में भी जाना जाता है।

 

लेस्कॉपी सर्जरी से ठीक होने में कितना समय लगता है?

यदि आप किसी स्थिति का पता लगाने के लिए लेप्रोस्कोपी किया है, तो आप 1-5 दिनों के भीतर अपनी सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू कर देंगे।

 

लेप्रोस्कोपी एक दिवसीय सर्जरी क्या है?

डेकेयर सर्जरी के रूप में कुछ प्रक्रियाओं में लेप्रोस्कोपी कोलेसिस्टेक्टोमी, डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कोपी, यूरोलॉजिक एडजस्टमेंट शामिल हैं।

 

लेप्रोस्कोपी सर्जरी के क्या फायदे हैं?

लेप्रोस्कोपी सर्जरी के निम के फायदे हैं:

  • पेट की दीवार को कम दिखाना
  • प्रक्रिया के बाद रक्त की कमी नहीं होना
  • क्लासिक का कम से कम जोखिम होना
  • छोटे निशान पड़ना
  • घाव के संक्रमण का खतरा कम होना
  • अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है
  • फाटक उपवास से होता है

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ने लिखा:
डॉ. मुस्कान छाबड़ा

डॉ. मुस्कान छाबड़ा

सलाहकार
डॉ. मुस्कान छाबड़ा एक अनुभवी प्रसूति-स्त्री रोग विशेषज्ञ और एक प्रसिद्ध आईवीएफ विशेषज्ञ हैं, जो बांझपन से संबंधित हिस्टेरोस्कोपी और लैप्रोस्कोपी प्रक्रियाओं में विशेषज्ञता रखती हैं। उन्होंने भारत भर के विभिन्न अस्पतालों और प्रजनन चिकित्सा केंद्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और खुद को प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में एक विशेषज्ञ के रूप में स्थापित किया है।
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