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बिरला प्रजनन क्षमता और आईवीएफ
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सरोगेसी क्या है - आवश्यकता और खर्च (Surrogacy meaning in English)

  • पर प्रकाशित दिसम्बर 20/2022
सरोगेसी क्या है - आवश्यकता और खर्च (Surrogacy meaning in English)

सरोगेसी क्या है?

जब एक अनोखा या एकल माता-पिता किसी कारण से खुद को साझा करके बच्चे को जन्म देने में असमर्थ होते हैं तो वह सरोगेसी का सहारा लेते हैं। यह एक महिला और एक प्रमुख या एकल माता-पिता के बीच अनुबंध है यानी समझौता है।

आसान शब्दों में कहें तो जब एक जुड़वाँ किसी अन्य महिला की कोख से अपने बच्चे को जन्म देते हैं तो इस प्रक्रिया को सरोगेसी कहते हैं। जो महिला सरोगेसी के माध्यम से बच्चे को जन्म देती है उसे सरोगेट मदर (सरोगेट मदर) और जन्म लेने वाले शिशु को सरोगेट चाइल्ड (सरोगेट चाइल्ड) कहा जाता है।

सरोगेसी के बारे में ज्यादातर लोगों ने सुना होगा, लेकिन आपको क्या पता है कि सरोगेसी की आवश्यकता किससे होती है, इस प्रक्रिया के दौरान क्या होता है और भारत में सरोगेसी का कितना खर्च आता है? अगर आपका जवाब “ना” है तो चलिए इस ब्लॉग में सरोगेसी के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।

सरोगेसी के प्रकार

सरोगेसी के दो प्रकार होते हैं जिन्हें हम पारंपरिक सरोगेसी और गर्भकालीन सरोगेसी के रूप में जानते हैं। आइए इसके बारे में जानने की कोशिश करते हैं:

  • पारंपरिक सरोगेट

सरोगेसी की इस प्रक्रिया में सबसे पहले पुरुष के शुक्राणु यानी स्पर्म से सरोगेट मदर (सरोगेट मदर) के अंडों को निशेचित (फर्टिलाइज) किया जाता है। उसके बाद, फर्टिलाइज्ड अंडे यानी भ्रूण को उस महिला के आधार पर रखा जाता है। पारंपरिक सरोगेसी में शिशु का जेनेटिक संबंध सिर्फ पिता से होता है।

  • गर्भकाल सरोगेसी

इस प्रक्रिया में पत्नी के अंडे को पति के शुक्राणु से निषेचित करके फर्टिल विधि और भ्रूण हत्या को माता के गर्भ में प्रत्यारोपित किया जाता है।

पारंपरिक सरोगेट गर्भकाल सरोगेसी
पिता का शुक्राणु और सरोगेट मदर का अंडा इस्तेमाल किया जाता है पति का शुक्राणु और पत्नी का अंडा इस्तेमाल किया जाता है
गर्भकालीन सरोगेसी की तुलना में पारंपरिक सरोगेसी में कम खर्च आता है पारंपरिक सरोगेसी की तुलना में गर्भकाल सरोगेसी में अधिक खर्च होता है
शिशु अनुवांशिक रूप से सरोगेट मदर से लाल रंग होता है। ऐसे में बाद में क़ानूनी संबंधित जीवाणु पैदा हो सकते हैं। इसलिए प्रक्रिया शुरू होने से पहले पार्टनरशिप और सरोगेट मदर के बीच कानूनी रूप से उचित सरोगेसी समझौता होना चाहिए शिशु अनुवांशिक रूप से माता-पिता दोनों से संबंधित होता है। इसमें कानूनी संबंधी जोखिम कम होता है। यह एक सफल और सुरक्षित प्रक्रिया है
इस दौरान सरोगेट मदर को आईयूआई से नौकरी पर रखता है गर्भकालीन सरोगेसी में आईवीएफ प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है
यह गोद लेने (दत्तक ग्रहण) के लिए एक बेहतर विकल्प प्रदान करता है, इसमें कुछ देनदारियों का खतरा होता है यह दंपत्तियों के माता-पिता बनने का सपना पूरा करने में मदद कर सकता है और इसकी सफलता दर अधिक है

सरोगेसी की आवश्यकता

जब एक जोड़ा किसी कारण से खुद को गर्भवती करके बच्चे को जन्म देने में असमर्थ होता है तो वह सरोगेसी प्रक्रिया की मदद लेते हैं। कुछ ख़ासियतों में सरोगेसी का चयन किया जा सकता है या इसकी आवश्यकता हो सकती है:

  • बार-बार गर्भपात होना
  • गर्भ कमजोर होना
  • गर्भाधान में किसी तरह की समस्या होना
  • गर्भाशय में टीबी ट्यूबरकुलोसिस होना
  • जन्म से ही गर्भाशय नहीं होना
  • तीन या एक से अधिक बार आईवीएफ उपचार फेल होना

साथ ही, महिला को किसी ऐसी बीमारी से पीड़ित होना जिससे गर्भावस्था संभव न हो या गर्भवती होने पर मां और शिशु दोनों को जान का खतरा हो जैसे कि दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर और गंभीर थायरॉइड आदि।

सरोगेसी में कितना खर्च आता है?

आमतौर पर भारत में सरोगेसी का खर्च लगभग 10-15 लाख रुपए तक हो सकता है। हालांकि, इस प्रक्रिया की अंतिम लागत नहीं है। इसमें बदलाव आ सकते हैं। सरोगेसी का खर्च कई कारकों पर स्थायी रूप से पड़ता है जैसे कि:

  • सरोगेसी का प्रकार
  • अस्पताल का विवरण
  • अस्पताल की साख
  • लोगों के प्रति अस्पताल की छवि
  • डॉक्टर का कौशल और शिक्षा
  • सरोगेट मदर की नौकरी (जरूरत पर आती है)
  • स्पर्म या एग डोनर का जीसस (जरूरत पर पड़ता है)

हालांकि, भारत में सरोगेसी की कीमत तय नहीं है। अगर आप सरोगेसी के जरिए माता-पिता बनने का सपना पूरा करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क कर सकते हैं। हम बिरला फर्टिलिटी और आईवीएफ सेंटर में महिला एवं पुरुष के संबंध में महिला एवं पुरुष के संबंध में इलाज करने के साथ-साथ अन्य भी सेवाएं प्रदान करते हैं जिसके कारण संरक्षण, रोग संबंधी अधिकार, दाता सेवाएं, निदान और प्राधिकरण, जेनेटिक और डायग्नोसिस आदि शामिल हैं।

केसरी जाने जाने प्रश्न

1. सरोगेसी से बच्चा कैसे पैदा होता है?

जब एक जोड़ा किसी कारण से खुद को प्रेग्नेंट करने में सक्षम नहीं होता है तो वे सरोगेसी का सहयोग ले रहे हैं। इस दौरान, सरोगेट मदर एक युगल या एकल माता-पिता के बच्चे को अपनी कोख में पालती और जन्म देती है। सरोगेसी में पति का शुक्राणु और पत्नी का अंडा, पति का शुक्राणु और सरोगेट मदर का अंडा, डोनर स्पर्म या डोनर अंडा का उपयोग किया जा सकता है। आपके लिए क्या उपयुक्त है यह डॉक्टर जांच के द्वारा निर्धारित करते हैं।

सरोगेसी में कितना खर्च आता है?

आमतौर पर भारत में सरोगेसी का खर्च लगभग 10-25 लाख रूपए आता है। लेकिन यह निर्धारित खर्च नहीं है। इसमें बदलाव आ सकता है यानी सरोगेसी का खर्च 10 लाख से कम या 25 लाख से ज्यादा भी हो सकता है। सरोगेसी का खर्च काफी चीजों पर कायम है।

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ने लिखा:
डॉ. प्रियंका यादव

डॉ. प्रियंका यादव

सलाहकार
प्रसूति, स्त्री रोग और प्रजनन विज्ञान में 13+ वर्षों के अनुभव के साथ, डॉ. प्रियंका महिला और पुरुष दोनों बांझपन सहित विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखती हैं। उनके व्यापक ज्ञान में एआरटी में प्रजनन फिजियोलॉजी और एंडोक्रिनोलॉजी, उन्नत अल्ट्रासाउंड और डॉपलर अध्ययन शामिल हैं। वह अपने मरीजों को व्यक्तिगत देखभाल प्रदान करने, उनके प्रजनन स्वास्थ्य के लिए इष्टतम परिणाम सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है।
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