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बिरला प्रजनन क्षमता और आईवीएफ
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गर्भाधान में रसौली क्या है (Rasoli kya hoti hai)

  • पर प्रकाशित मार्च २०,२०२१
गर्भाधान में रसौली क्या है (Rasoli kya hoti hai)

कारण असंतुलन और विषमता के कारण महिलाओं में कई तरह के कैंसर पैदा होते हैं। गर्भाशय में रसौली (Uterine Fibroids In Hindi) वैसे भी एक है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान की एक खोज के अनुसार, भारत में 100 में लगभग 25 महिलाएं गुस्से के दौरान गर्भ में रसौली की समस्या है।

विषय - सूची

गर्भावस्था में रसौली क्या है

गर्भाशय में रसौली को गर्भाशय में किंक, भ्रूणदानी में रसौली, बच्चेदानी में किंक, बच्चेदानी में फाइब्रॉएड और यूटेराइन फाइबर्स के नाम से भी जाना जाता है। गर्भाशय में रसौली को मेडिकल की भाषा में लियोमायोमा या मायोमा कहते हैं।

रसौली गर्भाशय की मांसपेशियों में होने वाला एक ट्यूमर है जिसकी संख्या एक या एक से अधिक हो सकती है। गर्भावस्था में रसौली का आकार एक अनार के दाने इतना छोटा और एक अशोभनीय आकार इतना बड़ा हो सकता है।

जैसे- रसौली का आकार बढ़ता जा रहा है, इसके लक्षण भी बढ़ते जा रहे हैं। गर्भावस्था में रसौली होने पर एक महिला कई लोगों का सामना कर सकती है जैसे कि पेट में दर्द और पीरियड्स के दौरान असामान्य रक्स्राव आदि।

गर्भावस्था में रसौली के कारण गर्भाशय कैंसर का खतरा नहीं होता है। विशेषज्ञ का कहना है कि वजन अधिक होने यानी मोटापे के कारण इस समस्या का खतरा बढ़ जाता है। जीवन में सकारात्मक बदलाव लाकर बचाया जा सकता है।

गर्भ में रसौली का उपचार कई तरह से किया जाता है जो आमतौर पर उसकी संख्या और आकार पर निर्भर करता है। इसके इलाज में जीवनशैली में बदलाव, दवाएं और सर्जरी आदि शामिल हैं।

गर्भाशय में रसौली (फाइब्रॉड) के प्रकार — Types of Uterine Fibroid in Hindi

गर्भाशय की रसौली का प्रकार उसकी स्थिति पर स्थायी करता है। मुख्य रूप से गर्भ की रसौली के पांच प्रकार होते हैं।

गर्भाशय फाइब्रॉएड के प्रकार हिन्दी भाषा में प्रवाह चार्ट के रूप में हैं

  • सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड (हिन्दी में सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड)

ये गर्भावस्था के पहलू के नीचे मौजूद हैं और गर्भाशय की ओर आकर्षित होते हैं। सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड के कारण लंबे समय तक टाईप ब्लीडिंग होती है।

  • इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड्स (हिंदी में इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड)

ये फाइब्रॉएड गर्भाशय की मांसपेशियों में मौजूद होते हैं और गर्भाशय गहरी में या उनके बाहर की तरफ होते हैं। इंट्राम्युरल फाइब्रॉएड के कारण खिंचाव, रीढ़ की हड्डी और मलाशय पर दबाव पड़ता है। आम तौर पर इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड जब तक बड़े नहीं होते हैं तो इसके लक्षण महसूस नहीं होते हैं।

  • सबसेरोसल फाइब्रॉएड्स (Subserosal fibroids in Hindi)

ये फाइब्रॉएड गर्भाशय के बाहर की मांसपेशियां या गर्भाशय की दीवार में मौजूद होते हैं। सबसे बड़ी फाइब्रॉएड के कारण श्रृखंला में दर्द होता है और रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है। इसी के साथ, मासिक धर्म के दौरान अधिक ब्लीडिंग होती है।

  • पेडैन्राइटलेट फाइब्रॉएड्स (Pedunculated fibroids in Hindi)

ये फाइबर्स गर्भाशय की दीवार के बहर मौजूद होते हैं, लेकिन गर्भाशय से जुड़े होते हैं। पेडेन्राइटलेट फाइब्रॉएड के कारण रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है जिसके कारण पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है।

  • सर्वाइकल फाइब्रॉएड्स (सरवाइकल फाइब्रॉएड्स हिंदी में)

ये फाइब्रॉएड गर्भाशय के गर्दन यानी सबसे ऊपरी सतह में मौजूद होते हैं। सर्वाइकल फ़ाइब्रॉएड से पीड़ित महिला को असामान्य स्राव और अधिक ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है।

गर्भाशय में रसौली के कारण - गर्भाशय फाइब्रॉएड के कारण हिंदी में

गर्भाशय में रसौली के नाम कारणों का अभी तक पता नहीं लगाया जा सकता है। लेकिन इसके कारणों में शामिल हैं:-

  • विषमता:- कई बार विषमता के कारण भी गर्भाशय में रसौली हो सकती है। अगर आपके परिवार में पहले कोई गर्भाशय में रसौली से पीड़ित है तो आप में भी बीमारी होने की संभावना है।
  • हार्मोन :- फ्रीज और प्रोजेस्टेरोन के कारण गर्भाशय में रसौली हो सकते हैं। रसौली यानी फाइब्रॉएड इन दोनों हार्मोन को अवशोषित करते हैं जिससे उनका आकार बढ़ता जा रहा है।

इन सबके अलावा, गर्भावस्था में रसौली और भी अन्य कारण हो सकते हैं जो गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन, कर्म उम्र में पीरियड्स आना, शरीर में विटामिन डी की कमी, गैर-वेज का अधिक सेवन, मोटापा और शराब, सिगरेट और दूसरे लुक्स चीजें का सेवन आदि शामिल हैं।

गर्भावस्था में रसौली के लक्षण — गर्भाशय फाइब्रॉएड के लक्षण हिंदी में

गर्भावस्था में रसौली के कई लक्षण होते हैं, इस बात की पुष्टि हो सकती है कि आप इस बीमारी से पीड़ित हैं। गर्भावस्था में रसौली के निम्नलिखित लक्षण हैं:-

  • जलन होना
  • थकान होना
  • आदिवासियों में दर्द होना
  • पेट में सूजन होना
  • मूत्राशय पर दबाव होना 
  • योनि से रक्तस्राव होना
  • बार-बार पेशाब लगना
  • कमजोरी महसूस होना
  • कब्ज की शिकायत
  • दर्द के दौरान होना
  • कभी-कभी सिकुड़न होना
  • पेशाब का समय बंद करना
  • मल त्याग समय तेज दर्द होना
  • यौन संबंध बनाने का समय योनि में दर्द होना
  • कभी-कभी सीक्ट्रस में रक्त के संबंध आने लगते हैं
  • पेट के हिस्सों में दबाव और भारीपन होना
  • अस्पताल के दौरान या बीच में अधिक रक्तस्राव होना
  • मासिक धर्म चक्र का सामान्य से अधिक दिनों तक चलना

यदि आप ऊपर दिए गए लक्षणों को स्वयं में अनुभव करते हैं या इस बीमारी से पीड़ित हैं तो एक महिला अनुभवी रोग विशेषज्ञ के साथ मिलकर उचित जांच और इलाज की तलाश की जानी चाहिए।

गर्भाशय में रसौली की जांच — गर्भाशय फाइब्रॉएड का निदान हिंदी में

गर्भाशय में विशेषज्ञ रसौली की पुष्टि करने के लिए स्त्री रोग से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जांच करने के सुझाव देते हैं जिनमें शामिल हैं:-

गर्भाशय फाइब्रॉएड के निदान के चरण हिंदी भाषा में फ्लो चार्ट के रूप में हैं

  1. अल्ट्रासाउंड:- अल्ट्रासाउंड स्कैन की मदद से डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा और सबम्यूकोसल फाइबर्स का पता लगाते हैं।
  2. एम.री.:- गर्भावस्था में रसौली के आकार और मात्रा का पता लगाने के लिए डॉक्टर एमआरआई का उपयोग करते हैं।
  3. हिस्टेरोस्कोपी:- इस जांच के दौरान हिस्टेरोस्कोप नामक उपकरण का उपयोग किया जाता है जिसके अंत में एक कैमरा लगता है। आवश्यकता होने पर हिस्टेरोस्कोपी के बाद डॉक्टर डॉक्टर की सलाह दे सकते हैं।
  4. लेप्रोस्कोपी:- इस प्रक्रिया के दौरान लेप्रोस्कोप नामक उपकरण का उपयोग कर गर्भाशय के बाहर मौजूद ऑक्सफ़ोर्ड्स की जांच की जाती है। इस प्रक्रिया के बाद जरूरत पड़ने पर इसकी सलाह दी जा सकती है।

इन सभी तकनीकों की मदद से गर्भाशय में रसोई की जांच की जाती है। उसके बाद, जांच के आधार पर इलाज के प्रकार का चयन कर उपचार की प्रक्रिया शुरू की जाती है।

गर्भाशय में रसौली का इलाज – गर्भाशय फाइब्रॉएड का इलाज हिंदी में

गर्भ में रसौली का उपचार कई तरह से किया जाता है जिसमें गर्भनिरोधक गोलियां, गोनेडोट्रोपिन रिलीजिंग हार्मोन एगोनिस्ट, लेवोनोर्जेस्ट्रल इंट्रायूटरिन सिस्टम, सर्जरी शामिल हैं।

गर्भनिरोधक गोलियां ओवुलेशन साइकिल को नियंत्रित करती हैं जो गर्भाशय में रसौली को दूर करने में मदद करती हैं। कुछ मामलों में ये दवाएं बेअसर साबित हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर इलाज के दूसरे माध्यम से चुनाव करते हैं।

गोनेडोट्रोपिन रिलीजिंग हार्मोन एगोनिस्ट सेक्स हार्मोन को प्रभावित करता है। इलाज की इस प्रक्रिया से छोटी रसौली को ठीक किया जा सकता है। गर्भावस्था में रसौली का आकार बड़ा होने पर सर्जरी की आवश्यकता होती है।

लेवोनोर्जेस्ट्रल इंट्रायूटरिन सिस्टम एक प्रकार का उपचार है। यह लेवोनोर्जेस्ट्रल का निर्माण करता है जो एक प्रकार का प्रोजेस्टेरोन है। इससे गर्भधारण में हो रहे बदलाव को रोकने में मदद मिलती है, लेकिन इसके ढेर सारे पहलू उलझ सकते हैं।

जब इनमें से कोई फायदा नहीं होता है तो डॉक्टर सर्जरी से गर्भाशय में रसौली का इलाज करती हैं। गर्भाशय में रसौली की सर्जरी कई तरह से की जाती है जिसमें हिस्टेरेक्टोमी, मायोमेक्टोमी और योनि स्राव शामिल हैं। 

गर्भावस्था में रसौली होने पर आपका खान-पान

गर्भावस्था में रसौली होने पर महिला को अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इससे उनके लक्षणों में सुधार होता है। गर्भावस्था में रसौली होने पर आमतौर पर महिला विशेषज्ञ अपनी खान-पान में शामिल करने की सलाह देते हैं:

  • फाइबर से भरपूर चीजें जैसे कि अटैचमेंट का सेवन करना 
  • हरी पत्तेदार घोषणाएं जैसे कि पालक, पालक और शकरकंद आदि का सेवन करना
  • सिट्रस फ्रूट्स जैसे कि संतरा और निम्बू आदि को अपने डाइट में शामिल करना
  • फ़्रायब्रॉएड्स जैसे कि विटेक्स, फ़िशऑयल और बी-कॉम्प्लेक्स आदि का सेवन
  • मछली के तेल को शामिल करना
  • उच्च लवण से भरपूर चीजें जैसे कि अलसी के बीज और टमाटर आदि का दावा करना

गर्भावस्था में रसौली होने पर किससे परहेज करें?

गर्भावस्था में रसौली होने पर डॉक्टर कुछ चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने का सुझाव देते हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ चीजों से परहेज करने के भी सुझाव हैं जिनमें से कुछ शामिल हैं:

  • अधिक वसा और अटकी मीट आदि से परहेज करें
  • अधिक रोमांचक दायरे वाले उत्पादों को ना कहें
  • अत्यधिक पदार्थ खाने के सेवन से बचना चाहिए

इन सभी के अलावा, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से भरपूर पदार्थ जैसे कि चावल, सफेद ब्रेड, झटके, केक और कुकीज आदि से परहेज करना चाहिए। इसी के साथ, कैफीन का अत्यधिक मात्रा सेवन से लिवर पर तनाव पड़ता है जिससे हार्मोन में वृद्धि होती है। इसलिए अधिक चाय या कॉफी के सेवन से बचने का सुझाव दिया जाता है।

गर्भाशय में रसौली से और परेशानियां हो सकती हैं – Uterine Fibroid may Cause Other Problems in Hindi

गर्भ में रसौली के समय पर उचित इलाज नहीं करने से कई तरह की जटिलताओं का खतरा होता है। गर्भाशय में रसौली से कुछ परेशानियां हो सकती हैं:-

  • फर्म
  • एमेनोरिया
  • पेट में सूजन
  • अधिक रक्तस्राव

केसरी जाने जाने प्रश्न

1.गर्भाशय में रसौली का नाममात्र आकार क्या है?

गर्भावस्था में रसौली का आकार एक अनार के दाने इतना छोटा और एक अशोभनीय आकार इतना बड़ा हो सकता है। महिलाओं के मामले में दूसरी और तीसरी तिमाही में 5 रहस्य से बड़ी गड़बड़ियां हो सकती हैं।

  • छोटे फाइबर्स का आकार 1-5 सदृश
  • मध्य फाइबर्स का आकार 5-10 विचित्र
  • बड़े फाइबर्स का आकार 10+ जैसा  

2. सोलोएड का आकार कितना खतरनाक है?

डॉक्टर का कहना है कि गर्भाशय में रसौली के आकार 5-10 होने पर उसे तुरंत सर्जरी की मदद से निकाल देना चाहिए, क्योंकि यह खतरनाक माना जाता है।

3. एलोकेटर्स में क्या नहीं खाना चाहिए?

गर्भावस्था में रसौली होने पर आपको अपना जीवन और खान-पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इससे पीड़ित होने पर आपको जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक, सिगरेट, शराब, संतृप्त वसा युक्त भोजन, कृत्रिम मिठास, लाल मांस, पशु वसा, सोया उत्पाद और प्लास्टिक पैक में चीजों को खाना नहीं चाहिए।

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डॉ. शाहिदा नगमा

डॉ. शाहिदा नगमा

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