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बिरला प्रजनन क्षमता और आईवीएफ
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टर्नर सिंड्रोम क्या है (टर्नर सिंड्रोम हिंदी में)

  • पर प्रकाशित नवम्बर 01/2022
टर्नर सिंड्रोम क्या है (टर्नर सिंड्रोम हिंदी में)

टर्नर सिंड्रोम ऐसी स्थिति है जो क्रोमोजोम की संरचना से प्रभावित होने पर दिखती है। क्रोमोज़ोम हमारे शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण जीन होता है। क्रोमोजोम संरचना में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी हो सकती है जिससे कई शारीरिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। कोई भी सामान्य मनुष्य के शरीर में कुल 23 समूह के क्रोमोजोम होते हैं और 23वां क्रोमोजोम लिंग या सेक्स के लिए जिम्मेदार होता है।

पुरुषों में XY और महिलाओं में XX क्रोमोजोम पाए जाते हैं। टर्नर सिंड्रोम की स्थिति में महिलाओं में एक्स क्रोमोजोम की समस्या होती है। इसलिए यह बीमारी विशेष रूप से महिलाओं में ही होती है। टर्नर सिंड्रोम दो प्रकार के होते हैं जो क्लासिक टर्नर सिंड्रोम और सिंक टर्नर सिंड्रोम कहलाते हैं।

क्लासिक टर्नर सिंड्रोम में दो एक्स क्रोमोजोम में से एक चक्कर होता है, उसी समय जुड़े हुए टर्नर सिंड्रोम में ज्यादातर कोशिकाओं में एक्स क्रोमोजोम मौजूद रहता है, लेकिन कुछ में आंशिक रूप से चिपचिपा या असामान्य रहता है।

महिलाओं में क्यों होता है टर्नर सिंड्रोम?

यह बीमारी ज़्यादातर महिलाओं को होती है क्योंकि उनमें XX क्रोमोजोम मौजूद रहता है। यही क्रोमोजोम लिंग आपस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। XX क्रोमोजोम जब असामान्य होता है या मौजूद नहीं होता है तो टर्नर सिंड्रोम की समस्या पैदा होती है।

इसे अनुवांशिक बीमारी भी माना जाता है जिसमें महिलाओं में क्रोमोजोम होता है या मौजूद नहीं होता है या उनमें गड़बड़ी होती है। टेनर सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं में दो सामान्य XX क्रोमोजोम की जगह केवल एक सामान्य एक्स क्रोमोजोम होता है।

क्रोमोज़ोम का एक जोड़ा बच्चे के लिंग को निश्चित करता है। इसे सेक्स क्रोमोजोम भी कहते हैं। इसमें एक क्रोमोजोम माता और एक क्रोमोजोम पिता से मिलता है। माता-पिता की ओर से हमेशा X क्रोमोजोम मिलता है जबकि पिता की ओर से X या Y में से कोई एक मिलता है। सामान्य रूप से लड़कों में एक एक्स (एक्स) और एक वाई (वाई) क्रोमोजम यानी एक्सवाई क्रोमोजोम होते हैं। जबकि लड़कियों में दो एक्स (XX) क्रोमोजोम मौजूद होते हैं।

टर्नर सिंड्रोम के लक्षण

टर्नर सिंड्रोम से पीड़ित लड़कियों का विकास धीरे-धीरे होता है और उनमें से पाचन संबंधी परेशानी होती है। इसके अलावा उनकी शारीरिक बनावट में भी समस्या होती है। ऐसी लड़कियों की गर्दन छोटी, सीना चक्र या फिर कान बड़े या छोटे हो सकते हैं। उनमें से स्तन का विकास नहीं हो पाता है और कई बार गर्भवती होने की समस्या भी होती है। इस सिंड्रोम की वजह से सोचने-समझने की क्षमता का विकास ठीक से नहीं हो पाता। इनमें मानसिक रूप से कमजोर होने का खतरा होता है।

टर्नर सिंड्रोम के कारण दिल की बीमारी, किडनी की बीमारी, बाल झड़ना और सुनने की क्षमता कम होने जैसी परेशानी भी देखने को मिल सकती है। टर्नर सिंड्रोम का कोई विशेष उपचार मौजूद नहीं है इसलिए इसके कारण शरीर में दिखने वाले लक्षणों का उपचार किया जाता है।

टर्नर सिंड्रोम का उपचार  

टर्नर सिंड्रोम से पीड़ित महिलाएं स्वयं का ख्याल रखती हैं। इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन लक्षणों को बेहतर करने के लिए डॉक्टर कुछ उपचार की सलाह दे सकते हैं। इस विकार का पता जन्म से पहले या बचपन में लगाया जा सकता है।

टेनर सिंड्रोम के रोगी को अधिकृत हार्मोन थेरेपी, एस्ट्रोजेन थेरेपी आदि दी जाती है। इसके अलावा, गर्भावस्था और जन्म को लेकर भी उपचार किए जाते हैं। उचित निगरानी से एक्स क्रोमोजोम की अनुपस्थिति के बावजूद महिला सामान्य जीवन जी सकता है।

टर्नर सिंड्रोम से जूझ रही महिलाओं को नशे की लत बढ़ाने के लिए ट्रेड हार्मोन थेरेपी दी जाती है। उपचार जल्द शुरू होने पर हड्डी का विकास ठीक हो जाता है। वहीं एस्ट्रोजेन हार्मोन स्तन विकास में मदद और गर्भाशय के आकार को ठीक करता है।

टर्नर सिंड्रोम से जूझने वाली ज्यादातर महिलाओं को प्रेक्षण होने के लिए उपचार की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में एक अच्छे डॉक्टर से परामर्श करने के साथ-साथ उपचार के दूसरे विकल्पों पर ध्यान देना होता है।

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